मर्यादा में रहकर होता है सृजन

By: Dec 10th, 2017 12:04 am

लेखक के संदर्भ में किताब

हिमाचल का लेखक जगत अपने साहित्यिक परिवेश में जो जोड़ चुका है, उससे आगे निकलती जुस्तजू को समझने की कोशिश। समाज को बुनती इच्छाएं और टूटती सीमाओं के बंधन से मुक्त होती अभिव्यक्ति को समझने की कोशिश। जब शब्द दरगाह के मानिंद नजर आते हैं, तो किताब के दर्पण में लेखक से रू-ब-रू होने की इबादत की तरह, इस सीरीज को स्वीकार करें। इस क्रम में जब हमने अमरनाथ धीमान के हिंदी गजल संग्रह ‘जिंदगी का सफर’ की पड़ताल की तो कई पहलू सामने आए…

दिहि : क्या साहित्य अपने मर्यादा बोध से किनारा कर रहा है?

अमरनाथ : ऐसा नहीं है। साहित्य सृजन जब अपनी सीमाओं में रहकर किया जाए तो ऐसा नहीं हो सकता।

दिहि : हिमाचली परिदृश्य में नए रचनाकार के साथ संभावना का मंच छोटा क्यों दिखाई देता है?

अमरनाथ : साहित्यकार के लिए हिमाचल जैसा रमणीक प्रदेश साहित्य सृजन के लिए अनेक संभावनाएं उजागर करता है। इसलिए साहित्य सृजन की यहां संभावनाएं बहुत अधिक हैं।

दिहि : आपके लिए गजल क्या और क्यों है?

अमरनाथ : मेरे लिए मन की शांति और चैन जो प्रदान करती है, वो ही गजल है।

दिहि : कविता, गीत और गजल के बीच आप खुद को कहां देखते हैं। आपके लिए सहज होना सालता है या असहज सहमति में सुकून मिलता है?

अमरनाथ :  कविता, गीत और गजल में मैं अपने आप को तल्लीन पाता हूं। यह मन को प्रसन्नता प्रदान करती है। सहज होना मुझे सालता है।

दिहि : सामान्य जीवन में भी लेखकीय संवदेना का पीछा करना पड़ता है या जीवन के किसी छोर पर बड़ी अनुभूति पास बुला लेती है?

अमरनाथ : सामान्य जीवन में अनायास ही मानस पटल पर अनुभूति अंकित हो जाती है और संवेदना बन व्यक्त

होती है।

दिहि : क्या यथार्थवादी होना भावनाओं की कैद से मुक्त होने जैसी कोशिश है। जब तड़पते हुए मन पर कविता छा जाती है, तो वापस लौटने का मार्ग?

अमरनाथ : यथार्थवादी होना ही सच को अभिव्यक्ति प्रदान करता है। …और अशांत मन को शांति मिल पाती है।

दिहि : आपके लिए गजल का संयोग कब-कब बनता है। क्या कोई विशेष प्राथमिकता के तहत आप कह पाते हैं या जो चाह कर भी नहीं छू पाते, उस मुकाम की परिकल्पना किस दृष्टि से संभव है?

अमरनाथ : मेरे लिए अनायास ही गजल लिखने का संयोग बन जाता है। इसमें कोई प्राथमिकता विशेष नहीं होती।

दिहि : आपकी पसंदीदा गजलें और इसकी वजह?

अमरनाथ : तेरे गम में हमने कैसे दिन गुजारे हैं, कुछ आंसू उमड़ पड़े कुछ अभी हमने संभाले हैं…। मेरे जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटी जिसको अभिव्यक्ति प्रदान करने के लिए मैंने इन पंक्तियों का चयन करके गजल में पिरोया।

दिहि : गजल की कैद में कब आए और लिखने से पहले किसे-किसे पढ़ा?

अमरनाथ : वर्ष 2016 में मैंने अनेक गजल संग्रह पढ़े तथा जीवन के अपने अनुभवों को सहेज कर गजलें लिखना शुरू किया।

दिहि : आपके अनुसार गजल का सफल होना किन बातों पर निर्भर करता है?

अमरनाथ : मेरे विचार में जब गजल में ऐसा भाव व्यक्त हो, जो मन को छू जाए, तभी गजल सफल संभव होगी।

दिहि : हर रचना में लेखक खुद शरीक होता है। ऐसे में गजल की रूह और गजल की पकड़ में होने को आप कैसे देखते हैं?

अमरनाथ : हां, हर रचना में लेखक की अपनी अभिरुचि होती है और जब लेखनी से निकले शब्द गजल में इस रूप में पिरोए जाएं कि उनको पढ़कर अंतरात्मा प्रसन्न हो जाए, तो सारी अनुभूतियां हो जाती हैं।

दिहि : हिंदी गजल कहीं उर्दू की छाया में कमजोर न हो जाए, तो इससे बचने के लिए आपके पास क्या रास्ता है। हिंदी के प्रयोग में गजल सहारा है या अलग धारा?

अमरनाथ : हिंदी गजल में मैंने प्रयास किया है कि उर्दू की शब्दावली कम से कम ली जाए, फिर भी गजल को तेज धार देने के लिए कहीं-कहीं उर्दू शब्दावली का भी प्रयोग करना पड़ता है। यह एक अलग धारा नहीं है।

दिहि : शब्द जब शरारती हो, तो संवेदना के संगम पर नहाने का खतरा विचारों के निर्वस्त्र होने जैसा है या अभिव्यक्ति की मौलिकता में सामाजिक मर्यादा तोड़ने का गुनाह कबूल है?

अमरनाथ : मन बेशक शरारती हो, पर संवेदनाओं के संगम में नहाती बार निर्वस्त्र होना जरूरी नहीं है। अभिव्यक्ति की मौलिकता के लिए सामाजिक मर्यादाओं को नहीं तोड़ा जा सकता।

दिहि : जीवन की गति और ठहराव के बीच रचनाओं की किस्ती के सामने भंवर क्या है?

अमरनाथ : जीवन की गति और ठहराव के बीच रचनाओं की नाव दूसरे छोर तक पहुंचने का साधन है।

दिहि : क्या साहित्यिक किनारों की खोज के बजाय डूब जाने की उच्छृंखलता ज्यादा उपयोगी है?

अमरनाथ : साहित्यिक किनारों की खोज करते-करते इसमें डूब जाना और अपने आप को खपा देना ही अधिक उपयोगी है।

दिहि : आशावादी होने की वजह से आज का साहित्य क्यों दूर हो चला है?

अमरनाथ : आशावादी होना मन को हौसला प्रदान करता है और साहित्य में आशावाद के सहारे ही साहित्यकार साहित्य के समुद्र को पार करने का प्रयास करता है। आशावादी होना सकारात्मक सोच है।

दिहि : दिल के करीब कोई पंक्तियां?

अमरनाथ : यादों के झरोखे से बुलाता है कोई, दिल में एक अरमान जगाता है कोई, एक टीस सी मन में है उठी, आकर दिल को बहला जाता है कोई।

 कुल गजलें  : 300 (प्रकाशित)

 मुख्य पुस्तकें : 2. यादों के झरोखे तथा जिंदगी का सफर (हिंदी गजल संग्रह)

 कविताएं  : ‘कहलूरा री कलम’ किताब में प्रकाशित पांच कविताएं

 वर्तमान पता : दनोह, बिलासपुर शहर

 एजुकेशन : बीए ऑनर्स, बीएड, एमए हिंदी, एमफिल

 माता : स्व. श्रीमती सुंदरु देवी

 पिता : स्व. कर्म सिंह

 पत्नी  : चंपा धीमान

 बेटे : नवीन कुमार व विकास

 व्यवसाय : सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य


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