यहां मंदिरों को छूने की है मनाही

By: Dec 9th, 2017 12:05 am

हिमाचल प्रदेश में कुल्लू के पास बसे मलाणा गांव का एक अनोखा रिवाज है। यहां के मंदिरों के भक्त दूर से दर्शन तो कर सकते हैं, लेकिन मंदिर या देवता को हाथ नहीं लगा सकते। नियम सख्त है और कई वर्षों से चला आ रहा है। मलाणा गांव का ‘देवदंड’ के नाम पर अनोखा कानून है। नियम तोड़ने पर गांव वाले संबंधित व्यक्ति का सामूहिक बहिष्कार कर देते हैं। गांव वालों के साथ-साथ यह नियम बाहरी लोगों पर भी लागू रहता है…

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक ऐसा अद्भुत गांव भी है जहां मंदिरों को छूने पर पाबंदी लगी हुई है। अगर गलती से मंदिर को छू लिया तो यहां सजा मिलती है। गांव वालों के साथ ये नियम बाहरी लोगों पर भी लागू हैं। नियम तोड़ने वाले व्यक्ति पर 3500 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है जिसे गांव वाले ‘देवदंड’ कहते हैं। हिमाचल प्रदेश में कुल्लू के पास बसे मलाणा गांव का एक अनोखा रिवाज है। यहां के मंदिरों के भक्त दूर से दर्शन तो कर सकते हैं, लेकिन मंदिर या देवता को हाथ नहीं लगा सकते। नियम सख्त है और कई वर्षों से चला आ रहा है। मलाणा गांव का ‘देवदंड’ के नाम पर अनोखा कानून है। नियम तोड़ने पर गांव वाले संबंधित व्यक्ति का सामूहिक बहिष्कार कर देते हैं। गांव वालों के साथ-साथ यह नियम बाहरी लोगों पर भी लागू रहता है। नियम तोड़ने वाले व्यक्ति पर 3500 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। इस राशि से मंदिर का शुद्धिकरण कराया जाता है। जुर्माना नहीं भरा तो गांव वाले उस व्यक्ति का हुक्का-पानी तक बंद कर देते हैं। गांव वाले इसे देवता जमलू यानी जमदग्नि ऋषि का आदेश मानकर पालन करते हैं। मंदिर के बाहर बाकायदा बोर्ड भी लगा है। मंदिर पर साफ  लिखा है कि पवित्र मंदिर को छूने पर 3500 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। करीब ढाई हजार आबादी वाले इस गांव में जमलू देवता के पांच और रेणुका माता का एक मंदिर है। इन सभी मंदिरों को छूना मना है। गांव के बड़े-बुजुर्ग इस बात का ध्यान रखते हैं कि लोग नियमों का सख्ती से पालन करें। मलाणा पंचायत के प्रधान भागीराम बताते हैं कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि नियम का सख्ती से पालन हो।  नियम सिर्फ  इनसानों पर ही नहीं, जानवरों पर भी लागू है। अगर किसी का पालतू जानवर मंदिर को स्पर्श करता है तो जुर्माना उसके मालिक को भरना होता है। गांव के लोग इन नियमों को न्यायालय के आदेश की तर्ज पर मानते हैं। लोक कथाओं में मलाणा गांव के लोगों को कभी आर्य, तो कभी सिकंदर का वंशज बताया जाता है। गांव वाले बताते हैं कि एक बार मुगल शासक अकबर अपनी बीमारी का इलाज कराने मलाणा आए थे। जब अकबर पूरी तरह ठीक हो गए तो उन्होंने गांव को पूरी तरह करमुक्त कर दिया था। पिछले 10 सालों में गांव के 150 लोगों को देवदंड मिल चुका है। वहीं पिछले दो साल में ऐसे तीन मामले सामने आए हैं। गांव से बाहर का व्यक्ति नियम तोड़ता है तो उसे भी देवदंड भोगना होता है। नियम तोड़ने वाले के पास अगर पैसे न हों तो उसे गांव से बाहर निकाल दिया जाता है और गांव वाले खुद मिलकर उसके बदले में दंड की राशि भरते हैं।


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