‘राहुल बने अध्यक्ष’ में खबर क्या थी

By: Dec 16th, 2017 12:07 am

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं

राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए हैं, इसमें भला खबर क्या है? अध्यक्ष तो वह उसी दिन बन गए थे, जिस दिन पैदा हुए थे। राजा के घर जब बेटा पैदा होता है, तो प्रजा को पता ही होता है कि समय आने पर वह राज गद्दी संभालेगा। यदि एक से ज्यादा बेटे हों, तो कुछ सीमा तक अनिश्चितता का निर्माण हो सकता है, लेकिन यदि बच्चा एक ही हो तो उस भ्रम का भी कोई स्थान नहीं बचता…

गुजरात के चुनावों के घमासान के बीच ब्रेकिंग न्यूज आई कि राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष घोषित किए गए। दिल्ली से एक मित्र ने फोन करके यह बताया। मैंने पूछा, इसमें खबर क्या है? उसे शायद समझ नहीं आया, क्योंकि वह खबर ही तो बता रहा था। यहां मुझे हिंदोस्तान समाचार न्यूज एजेंसी का एक प्रसंग याद आ रहा था। पुरानी बात है। मैं भी इस एजेंसी से निदेशक के नाते जुड़ा हुआ था। जाने-माने पत्रकार रवींद्र अग्रवाल इसके संपादक थे। जब कोई संवाददाता उनके पास अपनी स्टोरी लेकर आता था, तो वह उसे पढ़कर, कई बार लिखने वाले से पूछते थे, इसमें खबर क्या है? स्टोरी लिखने वाला हैरान होता था। वह इतनी लंबी खबर लिख कर लाया है और संपादक पूछ रहा है कि इसमें खबर क्या है? खबर क्या है, इसका एक अनुभव मेरा अपना भी है।

बहुत साल पहले की बात है। हमने विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल जी की एक प्रेस कान्फ्रेंस दिल्ली में आयोजित की। प्रेस कान्फ्रेंस तिब्बत समस्या पर रखी गई थी। अशोक सिंघल जी की प्रेस कान्फ्रेंस में उन दिनों बहुत भीड़ जुटती थी। चैनलों में उनको कवर करने के लिए होड़ मची रहती थी। प्रेस कान्फ्रेंस उपस्थिति के लिहाज से बहुत सफल रही। चीन-तिब्बत को लेकर सिंघल जी ने अनेक प्रश्नों के उत्तर दिए। किसी संवाददाता ने चलते-चलते सिंघल जी से लालकृष्ण आडवाणी के बारे में एक प्रश्न पूछ लिया। सिंघल जी का उत्तर तल्खी भरा था और आडवाणी के प्रति आलोचनात्मक था। हमें लगता था कि दूसरे दिन मुख्य खबर तिब्बत के बारे में होगी, लेकिन तिब्बत का तो कहीं नामोनिशान नहीं था। सभी चैनल और अखबारें भरी पड़ी थीं कि अशोक सिंघल जी ने आडवानी की आलोचना की। रवींद्र अग्रवाल का फिर वही कहना था कि इस कान्फ्रेंस में खबर ही यही थी।

राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए हैं, इसमें भला खबर क्या है? अध्यक्ष तो वह उसी दिन बन गए थे, जिस दिन पैदा हुए थे। राजा के घर जब बेटा पैदा होता है, तो प्रजा को पता ही होता है कि समय आने पर वह राज गद्दी संभालेगा। यदि एक से ज्यादा बेटे हों, तो कुछ सीमा तक अनिश्चितता का निर्माण हो सकता है, लेकिन यदि बच्चा एक ही हो तो उस भ्रम का भी कोई स्थान नहीं बचता। राजीव गांधी के एक बेटा और एक बेटी हुई। पुरातन परंपरा के अनुसार वारिस पुरुष ही हो सकता है। इतना महिला सशक्तिकरण हो जाने के बाद भी प्रियंका द्वारा विरासत संभालने का विकल्प अभी खुला नहीं है, इसलिए राहुल गांधी का कांग्रेस अध्यक्ष बनना तय ही था। यही कारण था कि अपने दिल्ली वाले पत्रकार मित्र को पूछा कि इसमें खबर क्या है, तो सवाल सुनने के बाद वह चुप्प हो गया। तब मैंने कहा, इसमें अलबत्ता राहुल गांधी की ताजपोशी के लिए चुने गए समय को लेकर जरूर खबर बनती है।

कांग्रेस ने गुजरात चुनाव में राहुल गांधी को उतारा था। वह लंबे समय से गुजरात के मतदाताओं को मोदी के खिलाफ समझा-बुझा रहे थे। उनको घूमते-फिरते देख मीडिया को भी विश्वास हो गया कि राहुल गांधी की भाषा राहुल समझने लगे हैं। राहुल गांधी ने अपने रिश्तेदारों को भी गुजराती खाखरा वगैरह खाने में देना शुरू कर दिया। जलसे-जुलूसों में तो शामिल हो ही रहे थे। राहुल गांधी को इस प्रकार करता देख कांग्रेस वालों को विश्वास हो गया कि वह इस बार गुजरात में मोदी को हरा सकते हैं। उत्साह में आकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी राहुल गांधी के रणविजय के घोष बुलंद आवाज में लगाने शुरू कर दिए। अब यदि अंतिम चुनाव परिणामों के अनुसार ऐसा होता है, तो उसका श्रेय राहुल गांधी को ही मिलना चाहिए। इसलिए राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए ताजपोशी का इससे अच्छा अवसर नहीं मिल सकता। वाक्य रचना कुछ इस प्रकार बनती-राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष बनते ही मोदी के हाथ से गुजरात छीन लिया या मोदी लहर हिमाचल प्रदेश के पहाड़ को नहीं छू सकी। इससे राहुल गांधी असली नेता बन जाते और भाजपा के सिंहासन हिलने की लहर चल पड़ती।

इस बीच एग्जिट पोल के संभावित नतीजे सामने आ गए। गुजरात में गुरुवार को दूसरे चरण का मतदान खत्म होने के साथ ही तमाम एजेंसियों के एग्जिट पोल आ गए हैं। कमोबेश सभी प्रमुख मीडिया संस्थानों के एग्जिट पोल में भाजपा को गुजरात और हिमाचल में बहुमत मिल रहा है। हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस को अपनी सत्ता गंवानी पड़ सकती है और भाजपा करीब तीन चौथाई बहुमत के साथ सत्ता हासिल कर सकती है। अंतिम परिणाम जानने के लिए फिलहाल हमें थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन अंतिम नतीजे जो भी होंगे, वे 2019 के आम चुनावों को भी कुछ हद तक प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि एग्जिट पोल के साथ जो खबर बन सकती थी, उसकी भी भ्रूण हत्या कर दी। इसलिए राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बन गए, इसमें से खबर बिलकुल ही गायब हो गई।

अब गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव नतीजों की बात। नतीजे तो तब आएंगे, जब यह आलेख छप चुका होगा। अभी असली पोल के न सही एग्जिट पोल के नतीजे तो सामने हैं ही। गुजरात में जिस प्रकार भारतीय जनता पार्टी की भारी जीत की सूचना आ रही है, उससे एक प्रश्न पैदा होता है। आखिर सभी चैनल और उनके पत्रकार गुजरात में राहुल गांधी और हार्दिक पटेल की जोड़ी को हिट क्यों बता रहे थे? इससे पहले वे उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी को ठेलते फिर रहे थे। क्या मीडिया देश की नब्ज से कट गया है? ऐसा नहीं है। कुछ जाने-माने पत्रकारों की विवशता है। अखाड़े के मालिक के पहलवानों की तारीफ ही तो की जा सकती है। उसको कमजोर बताने से अखाड़े का मालिक कान से पकड़ कर बाहर का रास्ता नहीं दिखा देगा? बाकी मीडिया के लोग बाहर सत्य का संकेत देते थे और आफिशियल स्टोरी में वही लिखते थे, जिससे स्टोरी छप सके या प्रसारित हो सके। अब एग्जिट पोल की स्टोरी से वे भी कहते घूम रहे हैं, मैंने तो आपको प्राइवेटली पहले ही बता दिया था। असली स्टोरी का इंतजार अठारह तक कीजिए।

ई-मेल : kuldeepagnihotri@gmail.com


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