विकास चाहिए, तो कुछ तो सहना होगा

By: Dec 1st, 2017 12:05 am

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के फैसले इन दिनों पूरे प्रदेश में चर्चा का केंद्र बिंदु हैं। इन फैसलों का हम पर त्वरित और दूरगामी क्या असर है। प्रबुद्ध जनता इन फैसलों पर क्या सोचती है। इन्हीं सवालोें के जवाब जानने के लिए प्रदेश के अग्रणी मीडिया गु्रप ‘दिव्य हिमाचल’ ने लोगों की राय जानी। किसने क्या कहा,  बता रहे है

पेड़ कटान नहीं होना चाहिए

जसाना के राजेंद्र सिंह ने कहा है बिना अनुमति के पेड़ कटान नहीं होना चाहिए। लेकिन यदि कोई व्यक्ति मजबूरीवश पेड़ कटान कर भी लेता है तो इतना जुर्माना लगाना न्यायसंगत नहीं है। पेड़ कटान के हिसाब से ही जुर्माना लगाया जाना चाहिए। जुर्माना भी उतना हो कि वह व्यक्ति जुर्माना राशि अदा भी कर सके। इसके चलते इस ओर विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है।

भरपाई करने का प्रावधान नहीं

छपरोहकलां पंचायत के उपप्रधान बलवंत वर्मा ने कहा है कि एनजीटी का निर्णय सही है। लेकिन इस निर्णय को लागू करने में भी उतनी सख्ती बरती जानी चाहिए। जितना किसी व्यक्ति ने पेड़ काटे हों। उन्होंने कहा कि इसके लिए आए दिन पेड़ भी मानव संपति को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन इसकी भरपाई करने का कोई भी प्रावधान नहीं है।

पेड़ कटान बंद होना चाहिए

छपरोहकलां पंचायत के गांव जारखड़ के बलदेव सिंह ने कहा है पेड़ कटान बंद होना चाहिए। पर्यावरण को बचाने के लिए सभी को अपना योगदान देना चाहिए। पेड़ कटान के चलते भूमि कटाव भी बढ़ रहा है। यदि कोई व्यक्ति पेड़ कटान करता है तो उस व्यक्ति को पौधारोपण भी करना चाहिए। वहीं, एनजीटी का निर्णय सही है। लेकिन जुर्माना राशि कुछ कम कर देनी चाहिए।

एनजीटी का निर्णय सही है

सकौन के सुभाष चंद ने कहा है कि एनजीटी का निर्णय सही है। लेकिन निर्णय के चलते आम जनता को समस्या झेलनी पड़ सकती है। इसके चलते जुर्माने का प्रावधान कम होना चाहिए। पेड़ कटान पर पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। तो पेड़ों से होने वाले नुकसान की भरपाई के बारे में भी उचित प्रावधान किया जाना चाहिए था।


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