विधि आयोग

By: Dec 27th, 2017 12:10 am

स्वतंत्रता के बाद विरासत में मिले कानूनों में संशोधन और उन्हें अद्यतन करने की मांग और भी प्रासंगिक हो गई। इसकी प्रतिक्रिया के रूप में भारत सरकार ने वर्ष 1955 में अटॉर्नी जनरल एमसी सीतलवाड़ की अध्यक्षता में स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि आयोग की स्थापना की। तब से अब तक तीन-वर्षीय कार्यकाल वाले कुल 20 विधि आयोग गठित किए गए, जिनमें से 20वें विधि आयोग की कार्यावधि 31 अगस्त, 2015 को समाप्त हुई। इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा 21वें विधि आयोग का गठन किया गया। 15 मार्च, 2016 को केंद्र सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति डा. बलबीर सिंह चौहान को 21वें विधि आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 21वें विधि आयोग का कार्यकाल पहली सितंबर, 2015 से प्रभावी होगा तथा यह तीन वर्ष का (31 अगस्त, 2018 तक) होगा।

विधि आयोग के कार्य-

*पुराने कानूनों की समीक्षा करना या रद्द करना

*ऐसे कानूनों का पता लगाना जिनकी अब आवश्यकता नहीं है अथवा प्रासंगिक नहीं रहे और जिन्हें तत्काल रद्द किया जा सकता है।

*उन कानूनों का पता लगाना जो आर्थिक उदारीकरण की वर्तमान परिस्थितियों से सुसंगत नहीं हैं और उनमें परिवर्तन की आवश्यकता है।

*उन कानूनों का पता लगाना जिनमें अन्यथा परिवर्तन अथवा संशोधन की आवश्यकता है और उनके संशोधन हेतु सुझाव देना।

*विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के विशेज्ञ दलों द्वारा सुझाव/संशोधन के लिए किए गए सुझावों पर व्यापक दृष्टि से विचार करना, ताकि उनमें समन्वय स्थापित किया जा सके।

*एक से अधिक मंत्रालयों/विभागों के कामकाज पर प्रभाव डालने वाले कानूनों के बारे में मंत्रालयों व विभागों द्वारा की गई टिप्पणियों पर विचार करना।

* कानून के क्षेत्र में नागरिकों की शिकायतों के शीघ्र निपटारे के लिए उपयुक्त उपाय सुझाना।

कानून और गरीबी

-गरीबों पर असर डालने वाले कानूनों की जांच करना और लेखा परीक्षा के बाद उन्हें सामाजिक-आर्थिक कानूनों के अनुरूप बनाना। -गरीबों की सेवा में कानूनों और विधायी प्रक्रियाओं का दोहन करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करना। -न्यायिक प्रशासन की प्रणाली की समीक्षा करना, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे समय की उचित मांगों के अनुरूप हों और उनसे उपलब्धियां प्राप्त की जा सकें। -राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के प्रकाश में मौजूदा कानूनों की जांच करना और उनमें सुधार के सुझाव देना।


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