वृहद् हिमालय की सांस्कृतिक महत्ता

By: Dec 15th, 2017 12:05 am

(अंकित कुंवर, नई दिल्ली)

‘हिमालय का सांस्कृतिक अवदान’ शीर्षक से लिखे लेख में कुलभूषण उपमन्यु ने हिमालय को सांस्कृतिक संरचना का मूलभूत केंद्र बताया है। हिमालय की वादियों में भारतीय संस्कृति का उद्भव हुआ। भारत के प्राचीन ग्रंथों की रचना हिमालय की भूमि पर हुई। संस्कृति के विकास और संरक्षण में हिमालय की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, अपितु हिमालय ने जैव विविधता के साथ सांस्कृतिक विविधता का अवदान दिया। भारतीय परंपराओं के विकास में हिमालयी क्षेत्रों की सहभागिता निहित है।  गीता में हिमालय की व्याख्या इस तरह की गई है, ‘स्वाथराणाम च हिमालय’ अर्थात स्थिर रहने वालों में मैं हिमालय हूं। उपरोक्त कथनानुसार हिमालय को प्राकृतिक विविधता के साथ-साथ सामंजस्य स्थापित करके संस्कृति के विकास द्वारा प्रकृति के प्रति मानव समुदाय की श्रद्धा को स्थापित करने का साधन माना जाता है। जैव विविधता एवं प्राकृतिक सौंदर्य से रचित हिमालय की अनोखी सुदंरता विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां तक कि विश्व में भारत की उपयोगिता हिमालयी क्षेत्रों की अनोखी संस्कृति पर अत्यधिक निर्भर करती है। हिमालय रूपी इस अनूठी विरासत को संभालकर रखना होगा।

 


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