संकट में भारतीय भाषाएं

By: Dec 14th, 2017 12:05 am

ईशानी सेन, केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला

भारत में करीब 780 भाषाएं अस्तित्व में रही हैं। इनमें से लगभग 220 भाषाएं अब तक खत्म हो चुकी हैं। इसके अलावा देश में 197 भाषाएं लुप्त होने की कगार पर हैं। लोग अपनी संस्कृति को छोड़कर पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं। लोगों को लगता है कि यदि हम अपनी भाषा बोलेंगे, तो समाज से असभ्य कहलाएंगे। हमारी अपनी एक महान संस्कृति रही है। उसके प्रति गौरव की भावना होनी चाहिए। दूसरी भाषाओं को अपनाना कोई बुरी बात नहीं, परंतु यह बात बुरी तब है यदि आप अपनी भाषाओं को भूल जाएं। स्कूलों में यदि बच्चे हिंदी भाषा या स्थानीय भाषा का प्रयोग करें, तो वे सजा के पात्र होते हैं। इसीलिए वे स्कूल में डर कर अपनी भाषा नहीं बोल पाते और अपनी भाषा को भूल ही जाते हैं। जैसे-जैसे हम विज्ञान में सफलता प्राप्त कर रहे हैं, हम अपनी संस्कृति और भाषाओं को पीछे छोड़ रहे हैं। अभी तक ऐसी भाषाओं को ढूंढा गया है, जिन्हें हमें पढ़ना तक नहीं आता। हमने अभी मिलकर इस समस्या का निवारण नहीं किया, तो हम न जाने कितनी भाषाओं को भूल जाएंगे और आने वाली पीढ़ी इनसे वंचित रहेगी।

 


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