सच्चा मित्र कमियों में शेयर करता है

By: Dec 16th, 2017 12:05 am

गुरुओं, अवतारों, पैगंबरों, ऐतिहासिक पात्रों तथा कांगड़ा ब्राइड जैसे कलात्मक चित्रों के रचयिता सोभा सिंह पर लेखक डॉ. कुलवंत सिंह खोखर द्वारा लिखी किताब ‘सोल एंड प्रिंसिपल्स’ कई सामाजिक पहलुओं को उद्घाटित करती है। अंग्रेजी में लिखी इस किताब के अनुवाद क्रम में आज पेश हैं मित्रता पर उनके विचार :

-गतांक से आगे…

आपकी मित्रता का आप पर प्रभाव पड़ता है और यह प्रभाव समाज में आपकी छवि का निर्माण करता है। एक अच्छे आदमी की संगत में आपका दिमाग शांत होता है। आप चाहे कितने ही अच्छे क्यों न हों, एक बुरे आदमी की संगत आपकी ख्याति को धूमिल करेगी। एक विकसित हो चुका आदमी बच्चों से बात के दौरान बच्चों जैसा व्यवहार करता है। निर्दोष बच्चों की संगत में वह स्वयं भी निर्दोष जैसा हो जाता है। एक बच्चा कुछ भी कर सकता है, वह इसकी परवाह नहीं करेगा। मित्रता वह निर्दोषता होनी चाहिए। पर्वतों की यात्रा के दौरान एक व्यक्ति कई तरह की कठिनाइयां झेलता है। इससे उसके दिमाग का विस्तार होता है और वह प्रकृति के नजदीक पहुंच कर उसे और करीब से समझता है। मित्र का चयन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए ताकि आप उसके सानिध्य में ऊपर की ओर जाएं, न कि नीचे की ओर। मित्र एक पर्वत की तरह होना चाहिए। मित्र को सही समय पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए और उसका यह काम उचित होगा। सभी को प्यार की जरूरत होती है और वे दूसरों की मदद भी करना चाहते हैं। आपका मित्र आपको प्यार देगा और आपके दिमाग को विकसित करने में मदद करेगा। किताबें भी मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र होती हैं। वास्तव में किताबें एक अच्छा विकल्प हैं, लेकिन अकसर लोग इन्हें गंभीरता से नहीं लेते और उन्हें पढ़ते नहीं हैं। आपके पास हमेशा आपकी किताब होनी चाहिए, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा अपने पास सुरक्षित रखें। आप अपनी जरूरत और इच्छा के मुताबिक इसे निकाल सकते हैं और अपनी मर्जी का कोई भी टॉपिक जब चाहें, पढ़ सकते हैं। मानव का स्वभाव ऐसा होता है कि वह चाहता है कि कोई ऐसा हो जो उसकी प्रशंसा अपनी तुलना में बेहतर कर सके। हालांकि कठिनाई यह है कि इस तरह का व्यक्ति, जो अपने गुणों की अपेक्षा दूसरे के गुणों को बेहतर मानता हो, मिलना मुश्किल है। वास्तविक समस्या यह है कि व्यक्ति उसके बारे में अनजान रहता है जो उसके पास होता है, और जो उसके पास नहीं होता है, उसके प्रति उसकी इच्छा ज्यादा रहती है। इसलिए वह दूसरों से अपनी प्रशंसा करवाकर अपने को धोखे में रखता है। यह इसलिए होता है क्योंकि वह सच्चे रूप में अपने को ही नहीं पहचानता है। अगर आपका कोई अच्छा मित्र होगा, तो वह आप में अपने को जानने का भाव पैदा करेगा। गुरु तेग बहादुर अपने एक प्रवचन में कहते हैं कि पूरा संसार स्वार्थों से भरा पड़ा है। इमर्सन ने एक बार कहा था कि वह व्यक्ति जो आपसे दूर चला जाता है, फिर भी आपको इस बात का अहसास नहीं होने देता, वही आपका सच्चा मित्र है। एक सच्चा मित्र दूरियों व गड्ढों को भरता है। कई मित्र आपसे आपके लाभ व दौलत शेयर करते हैं। कई मित्र दुख और सुख शेयर करते हैं। एक सच्चा मित्र आपकी कमियों व खामियों के साथ शेयर करता है। एक लड़के के कई मित्र थे। उसके पिता ने उससे कहा कि वह जाए और अपने किसी मित्र से एक सौ रुपए मांग ले। वह लड़का एक-एक करके सभी मित्रों के पास गया, लेकिन सभी मित्रों ने रुपए देने से इनकार कर दिया। इसके बाद उसके पिता ने उसे साथ लेकर अपने एक मित्र का दरवाजा खटखटाया। उसका मित्र एक तलवार और सोने के साथ बाहर निकला और बोला कि अगर तुम्हारा कोई दुश्मन है तो यह तलवार है तथा अगर दौलत की जरूरत है तो यह सोना है। लड़के के पिता ने अपने बेटे को यह बात समझने का इशारा किया और कहा कि मित्र ऐसा होना चाहिए। कहने का भाव यह है कि मित्र विपदा के समय में काम आना चाहिए। कहते भी हैं कि वास्तविक मित्र वह है, जो विपदा में काम आता है। अगर मित्र विपदा में काम न आए, तो वह वास्तव में मित्र नहीं है। विपदा के समय एक मित्र को अपने मित्र की मदद करनी ही चाहिए।


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