समाज से संवाद तक पुलिस व्यवस्था

By: Dec 7th, 2017 12:05 am

सोमेश गोयल

लेखक, हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक हैं

हिमाचल प्रदेश पुलिस स्थापना समारोह की परिकल्पना के दो मुख्य उद्देश्य हैं- पहला कि ऐसे आयोजन पुलिस के मनोबल, आत्मविश्वास और आत्म सम्मान में वृद्धि करेंगे। दूसरा मुख्य कारण प्रदेश के सभी वर्गों और लोगों से एक संवाद स्थापित करना था, जिनकी सेवा हिमाचल प्रदेश पुलिस दशकों से करती आ रही है…

हिमाचल प्रदेश पुलिस अपने इस आधुनिक स्वरूप में स्वतंत्रता के बाद जनता को अपनी सेवाएं दे रही है। चूंकि प्रदेश पंजाब राज्य का हिस्सा था, तो उस समय तक पंजाब राज्य के अधिकारियों द्वारा ही पुलिस का संचालन किया जाता था। वर्ष 1948-49 में पहली बार हिमाचल प्रदेश पुलिस के लिए स्वतंत्र पुलिस महानिरीक्षक की नियुक्ति की गई। एसआर चौधरी, आईपी को हिमाचल प्रदेश पुलिस का प्रथम महानिरीक्षक होने का गौरव प्राप्त हुआ। समय की आवश्यकताओं और जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप हिमाचल प्रदेश पुलिस की संख्या और उत्तरदायित्व बढ़ना भी निश्चित था। बेहतर मार्ग दर्शन एवं नियंत्रण के लिए महानिरीक्षक के पद को वर्ष 1987 में महानिदेशक के पद में परिवर्तित किया गया।

अपने जीवनकाल के लगभग 70 वर्षों में यह पहला अवसर है, जब हिमाचल प्रदेश पुलिस अपना स्थापना समारोह सात और आठ दिसंबर 2017 को शिमला और सभी जिला मुख्यालयों पर मना रही है। इस स्थापना समारोह की परिकल्पना के दो मुख्य उद्देश्य हैं- पहला कि ऐसे आयोजन पुलिस के मनोबल, आत्मविश्वास और  आत्म सम्मान में वृद्धि करेंगे। दूसरा मुख्य कारण प्रदेश के सभी वर्गों और लोगों से एक संवाद स्थापित करना था, जिनकी सेवा हिमाचल प्रदेश पुलिस दशकों से करती आ रही है। सात दिसंबर को पुलिस द्वारा 11 बजे प्रातः ऐतिहासिक रिज मैदान पर एक भव्य परेड का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें महामहिम राज्यपाल हिमाचल प्रदेश मुख्य अतिथि के रूप में सलामी लेंगे। इस परेड में हिमाचल प्रदेश पुलिस के सभी अंग हिस्सा लेंगे। आठ दिसंबर को गेयटी थियेटर के एमपीसीसी हाल में एक बौद्धिक परिचर्चा का आयोजन भी किया जा रहा है। इस सेमिनार का विषय 21वीं शताब्दी की पुलिस का अपेक्षित ढांचा और सुधार रहेगा। दो जानी-मानी हस्तियां जो सुरक्षा के विशेषज्ञ हैं, इस सेमिनार में अपने विचार व्यक्त करेंगी। इन आयोजनों के अतिरिक्त पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी अपनी कठोर छवि के विपरीत रंगारंग कार्यक्रम भी कर रहे हैं। प्रायः पुलिस कार्य प्रणाली को लेकर प्रश्न किए जाते हैं। इसके दृष्टिगत जन साधारण की जानकारी के लिए एक लाइव प्रकोष्ठ की स्थापना सभी जिला मुख्यालयों पर इस समारोह के दौरान की जा रही है। इसमें शिकायत की प्राथमिकी दर्ज कराने की प्रक्रिया और शिकायतकर्ता के अधिकारों के बारे में लोगों को जागरूक करवाया जाएगा।

प्रदेश पुलिस अपनी सीमित बल संख्या और संसाधनों के होते हुए भी अपने कर्त्तव्य का निर्वहन सफलतापूर्वक कर पाई है। प्रदेश पुलिस का प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी अपनी संवेदनशीलता, मृदु व्यवहार, उत्तम अन्वेषण, सजगता और ईमानदारी के लिए जाना जाता है। प्रौद्योगिकी और आधुनिकीकरण में भी हिमाचल प्रदेश पुलिस अग्रणी रही है। बहुत सारी ऑनलाइन ऐप्स जनता की सुविधा के लिए बनाई गई हैं। साइबर अपराधों के संबंध में साइबर लैब की स्थापना की गई है। इनके परिणामस्वरूप जनता को पुलिस द्वारा सेवा प्रदान करने में गति आई है। प्रदेश में प्रतिवर्ष साढ़े सत्रह हजार के करीब मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। मुक्त अपराध पंजीकरण अभियान के तहत हम किसी प्रकार के अपराध को दबाना नहीं चाहते और मैं यह अपेक्षा करना चाहता हूं कि इस वर्ष यह आंकड़ा अठारह हजार को पार करना चाहिए। हिमाचल प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के उत्पीड़न के मामले अन्य राज्यों की तुलना में लगभग 35 प्रतिशत कम हैं। हम इस प्रकार के हरेक अपराध को बड़ी संजीदगी से लेते हैं और उसे बड़ी तत्परता से सुलझाते हैं। प्रदेश में आठ महिला थानों की स्थापना की गई है और सभी जिलों में विशेष महिला अन्वेषक प्रकोष्ठ स्थापित किए गए हैं। महिला हेल्पलाइन 1091 हर वक्त सेवा के लिए तत्पर है। महिलाओं और बच्चों की सुविधाओं के लिए प्रत्येक पुलिस थाना में पांच-छह महिला कर्मियों की तैनाती की गई है। इससे पीडि़त महिला एवं बच्चे खुलकर अपनी व्यथा कह सकें और न्यायोचित मदद प्राप्त कर सकें। बच्चों के लिए विशेष हेल्पलाइन-1098 की व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त शीघ्र ही हम नेशनल एमर्जेंसी रिस्पांस स्कीम को भी क्रियान्वित करने जा रहे हैं, जिसमें 100 नंबर के स्थान पर 112 नंबर डायल करने से तुरंत पुलिस सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। पर्यटन की दृष्टि से लाखों पर्यटक प्रतिवर्ष हमारे प्रदेश में आते हैं। उनकी सुविधा और सुरक्षा के लिए पर्यटन पुलिस की सेवाएं पर्यटन स्थलों पर उपलब्ध करवाई गई हैं। हिमाचल प्रदेश मादक द्रव्यों के लिए चर्चा में रहा है। मादक पदार्थों का सेवन और व्यापार हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। हिमाचल प्रदेश पुलिस इस चुनौती से निपटने के लिए पूर्णतः तैयार है। मादक पदार्थों की खेती को नष्ट करने के लिए, अपराधियों को पकड़ने और स्कूलों में नशे के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

प्रदेश पुलिस अपने कर्मियों को आधुनिकतम प्रशिक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है। देश के सर्वोच्च प्रशिक्षण संस्थानों तथा विदेश में भी प्रशिक्षण के लिए प्रदेश पुलिस के अधिकारियों व कर्मचारियों को भेजा जा रहा है, ताकि इससे विभाग को लाभ मिल सके। पिछले कुछ समय से हिमाचल पुलिस के नेतृत्व द्वारा खेलों के प्रोत्साहन के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं। कबड्डी, बॉक्सिंग व कुश्ती के क्षेत्र में प्रदेश पुलिस के पुरुष व महिला खिलाडि़यों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है जो प्रदेश व प्रदेश पुलिस के लिए गर्व की बात है। हमें गर्व है कि भारतीय पुरुष कबड्डी टीम के कप्तान अजय ठाकुर हमारे बल में उप अधीक्षक के रूप में कार्यरत हैं। हिमाचल पुलिस बिना किसी पक्षपात व भय के सत्यनिष्ठा के साथ जनता की सेवा के लिए संकल्पबद्ध है तथा आज अपने स्थापना दिवस के दिन जनता की सेवा के लिए पुनः समर्पित करती है।


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