सियासी जंग में अपने ही चेलों से पाई शिकस्त

By: Dec 19th, 2017 12:15 am

विधानसभा चुनावों में राजेंद्र राणा ने पे्रम कुमार धूमल, जवाहर ठाकुर ने कौल सिंह को दी मात

मटौर – प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में इस बार बड़ा उल्टफेर हुआ। सत्तासीन कांग्रेस में वीरभद्र को छोड़कर न तो किसी की राजशाही चली, न ही कोई कद्दावर नेता अपनी सीट बचा पाया। वहीं, भाजपा ने भले ही जीत का परचम लहराया हो, लेकिन पार्टी के सीएम पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल और प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती सरीखे वरिष्ठ नेता भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। इन चुनावों में रोचक बात यह देखने को मिली कि चेलों ने गुरुओं को पटकनी दे डाली। जी हां, हम बात कर रहे हैं सुजानपुर से चुनाव जीते कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा और दरंग विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते जवाहर ठाकुर की। जानकारी के अनुसार राजेंद्र राणा को राजनीति में एंट्री करवाने वाले प्रेम कुमार धूमल ही थे। राजेंद्र राणा भी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। राणा ने धूमल के लिए बड़े से बड़ा जोखिम उठाने के लिए भी कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। राजेंद्र राणा काफी समय तक भाजपा के मीडिया प्रभारी भी रहे, लेकिन वर्ष 2010 में हुए एक कांड ने गुरु-चेले के बीच में ऐसी दरार डाली, जिसकी चौड़ाई बढ़ती ही गई। उधर, दरंग विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते जवाहर ठाकुर की कहानी भी कुछ ऐसी है। सियासत के इस रण में उन्होंने भी अपने राजनीतिक गुरु कौल सिंह ठाकुर को तीसरे प्रयास में पछाड़ दिया। कांग्रेस में सीएम पद के लिए हमेशा दावेदारी जताने वाले कैबिनेट मंत्री कौल सिंह ठाकुर को अपने ही चेले के हाथों मिली मात को बहुत बड़ी हार के रूप में देखा जा रहा है। 60 वर्षीय जवाहर ठाकुर को कौल सिंह ठाकुर ने कांग्रेस में एंट्री दिलाई थी। वह कौल सिंह के खास माने जाते थे, लेकिन एक समय ऐसा भी आया, जब गुरु-चेले में दूरियां बन गईं। कौल सिंह से दूरियां बनने के बाद जवाहर ठाकुर सुखराम की पार्टी हिविंका में चले गए और कौल सिंह के अगेंस्ट इलेक्शन लड़ा, लेकिन वह चुनाव हार गए। बाद में वह बीजेपी में चले गए। बीजेपी में वह मंडी के जिलाध्यक्ष भी रहे। वर्ष 2012 में दरंग से फिर उन्हें कौल सिंह से टक्कर लेने का मौका मिला, लेकिन वह दोबारा अपने राजनीतिक गुरु का सामना नहीं कर पाए। जवाहर ठाकुर ने हार नहीं मानी और वर्ष 2017 में फिर पूरी ताकत जुटाकर मोर्चा संभाला, लेकिन इस बार वक्त और सितारे जवाहर ठाकुर के साथ थे। उन्होंने कौल सिंह ठाकुर को 6541 मतों से पराजित कर दिया और विजयी रहे। जवाहर ठाकुर पेशे से सेब के बहुत बड़े कारोबारी हैं।

वीरभद्र ने पहचानी राणा की काबिलियत

राजेंद्र राणा ने वर्ष 2012 में बतौर आजाद उम्मीदवार चुनाव लड़ा और भारी मतों से विजयी रहे। वीरभद्र सिंह ने राणा की काबिलियत को पहचाना और उन्हें अपने बेड़े में शामिल कर लिया। राणा भी तन-मन धन से कांग्रेस की सेवा में जुट गए। श्री धूमल ने शायद कभी सोचा भी नहीं होगा कि वक्त उन्हें उनके की चेले के सामने लाकर खड़ा करेगा और वह अपने ही तैयार किए मोहरे से मात खाएंगे।


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