‘सिरमौरी ताल’ थी प्राचीन सिरमौर की राजधानी

By: Dec 6th, 2017 12:05 am

स्त्रुध्न राजधानी पांवटा में कालसी के निकट कहीं रही होगी। संभवतः प्राचीन सिरमौर राज्य की राजधानी ‘सिरमौरी ताल’ ही रही हो। यहां आज भी बहुत पुराने नगर, सिरमौरी ताल के मंदिर और मूर्तियां जीर्णावस्था में हैं। इससे प्रकट होता है कि ये कई शताब्दियों पुराने होंगे…

पूर्व मध्यकालीन हिमाचल

कुलूत : जालंधर में चार महीने तक ठहरने तथा अध्ययन करने के बाद ह्वेनत्सांग कुलूत गया। उसने कुलूत प्रदेश को जालंधर से 117 मील उत्तर पूर्व की ओर कहा है, जो निश्चय ही आज का कुल्लू हो सकता है। ह्वेनत्सांग ने कुल्लू का घेरा 500 मील बताया है, जो आज की सीमाओं से कहीं अधिक है। महात्मा बुद्ध के आगमन की पुण्य स्मृति को कायम रखने के लिए घाटी के बीच में अशोक द्वारा स्थापित स्तूप का भी ह्वेनत्सांग ने जिक्र किया है। उसने आगे कहा है कि उस समय वहां पर 20 के लगभग बौद्धों के संग विहार थे, जिसमें एक हजार के करीब महायानी भिक्षु रहते थे। विभिन्न जातियों तथा संप्रदायों के वहां पंद्रह के लगभग देव मंदिर भी थे। इसके अतिरिक्त वहां कई गुफाएं भी थीं, जिनमें ऋषि आदि रहते थे। सुल्तानपुर से कुछ मील उत्तर की ओर केलात (या कलेथ) नामक स्थान पर स्थित कपिलमुनि के मंदिर में बुद्ध धर्म के निशान के रूप में अब तक भी अवलोकितेश्वर की पाषाण मूर्ति मौजूद है, जिसकी अब तक भी पूजा होती है। यात्री ने कुलूत के औषधीय पौधों, सोने, चांदी तथा तांबे का जिक्र भी किया है, लेकिन उसने लाहुल के राजाओं का उल्लेख नहीं किया। संभवतः वे देश हर्ष के अधीन रहे होंगे।

शतदु्र : कुलूत से लौटकर ह्वेनत्सांग शतद्रु गया। उसने इस प्रदेश का घेरा 333 मील बताया है। इस घेरे के अनुसार शतद्रु प्रदेश की सीमाएं उत्तर पश्चिम में शिमला की नीची पहाडि़यों तक और दक्षिण में सरहिंद तक रही होंगी। संभवतः आज का बिलासपुर भी शतद्रु प्रदेश का भू-भाग रहा होगा। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि बिलासपुर का षण्मुखेश्वर मंदिर शतद्रु राज्य कालीन ढांचा था। सतलुज नदी इस राज्य की पश्चिमी सीमा थी। यात्री ने इस देश के राजा का उल्लेख नहीं किया। ज्ञात होता है कि कुलूत की भांति शतद्रु भी हर्ष के अधीन था। स्त्रुध्न (श्रुघन) का जिक्र करते हुए यात्री लिखता है कि यह प्रदेश थानेश्वर से 66 मील के लगभग उत्तर- पूर्व की ओर है। इसका क्षेत्रफल एक हजार मील है और इसकी पूर्वी सीमा गंगा नदी तक है। उत्तर में ऊंचे-ऊंचे पर्वत हैं और यमुना इसके मध्य भाग में बहती है।

राजधानी तीन चार मील के क्षेत्र में फैली है, जिसके पूर्व में यमुना नदी बहती है। लोग सरल तथा सच्चे हैं और हिंदू धर्म के अनुयायी हैं। यहां पर पांच बौद्ध मठ हैं, जिनमें 1000 भिक्षु रहते हैं। इसके अतिरिक्त 100 देव मंदिर हैं। कनिंघम के विचार में स्त्रुध्न राज्य सिरमौर और गढ़वाल की पहाडि़यों में गिरि नदी और गंगा नदी के मध्य भू-भाग में फैला हुआ था।

इसकी राजधानी पांवटा में कालसी के निकट कहीं रही होगी। संभवतः प्राचीन सिरमौर राज्य की राजधानी ‘सिरमौरी ताल’ ही रही हो। यहां आज भी बहुत पुराने नगर, सिरमौरी ताल के मंदिर और मूर्तियां जीर्णावस्था में हैं। इससे प्रकट होता है कि ये कई शताब्दियों पुराने होंगे।

      — क्रमशः


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