‘ स्त्री शक्ति पुरस्कार ’ से सम्मानित हुईं थी किंकरी देवी

By: Dec 27th, 2017 12:05 am

एक स्थानीय स्वयंसेवी समूह ‘जरूरत में लोगों का कार्य लोगों के लिए’ ने एक जनहित याचिका दायर कर दी। वह शिमला में याचिका दायर करने के लिए 19 दिन ठहरीं।  दो दिन के बाद जब पैसे खत्म हो गए, तो उन्होंने वहां नौकरानी का काम किया। उन्होंने उच्च न्यायालय के सामने इस विचारणीय  विषय को प्रकाश में लाने के लिए व्रत शुरू कर दिया…

किंकरी देवी

‘स्त्री शक्ति’ इनाम प्राप्त करने वाली किंकरी देवी विधवा हो गई थीं, जब वह केवल 22 वर्ष की थीं। वह लोगों के ध्यान का केंद्र तब बनीं, जब उन्होंने क्षेत्र में लापरवाही से खनिज निकालने के विरुद्ध बीड़ा उठाया। उन्होंने सिरमौर जिला के संगड़ाह क्षेत्र में अवैध रूप से पत्थर आदि निकालने पर पाबंदी लगाने के लिए हिमाचल उच्च न्यायालय में एक सार्वजनिक हित याचिका दायर की। शुरू में लोगों ने स्थानीय स्तर पर आंदोलन शुरू कर दिया। जब सरकार ने कोई सुनाई नहीं की, तो उन्होंने उच्च न्यायालय में जाने का निर्णय लिया। एक स्थानीय स्वयंसेवी समूह ‘जरूरत में लोगों का कार्य लोगों के लिए’ ने एक जनहित याचिका दायर कर दी। वह शिमला में याचिका दायर करने के लिए 19 दिन ठहरीं।  दो दिन के बाद जब पैसे खत्म हो गए, तो उन्होंने वहां नौकरानी का काम किया। उन्होंने उच्च न्यायालय के सामने इस विचारणीय  विषय को प्रकाश में लाने के लिए व्रत शुरू कर दिया। उन्होंने माफिया की धमकियों का सामना किया। उनकी अनपढ़ता और गरीबी, क्षेत्र को पतन से बचाने के लिए उनके तेज को कभी भी हतोत्साहित नहीं कर सकी। 1991 ई. में न्यायालय ने सरकार को सारी सक्रिय खानों को बंद करने के निर्देश दिए। खान निकालने वाले समूह ने निर्णय के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर दी। किंकरी देवी ने उच्चतम न्यायालय में भी मुकदमा जीत लिया। इस दुबली- पतली, छोटे कद की महिला की कमजोर आवाज सुनी गई। जब मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उनकी बहुमूल्य सेवा के लिए ‘झांसी की रानी लक्ष्मीबाई स्त्री शक्ति पुरस्कार-1999’ से उसे पुरस्कृत किया। यह पुरस्कार तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा सन्  2001 में दिया गया। उनकी सेवा के लिए बहुत सारे संगठनों ने उन्हें सम्मानित किया। उन्हें बीजिंग में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। उन्हें अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन द्वारा उद्घाटन समारोह का दीप प्रज्वलित करने के लिए आमंत्रिम किया गया। किंकरी देवी लोगों में मृदा संरक्षण, वनों की रक्षा और जल के संरक्षण हेतु जागरूकता पैदा करने के लिए दृढ़ संकल्प रहीं।

सत्यदेव बुशहरी

इनका जन्म 19 नवंबर, 1922 ई. को शिमला जिला की तहसील रोहड़ू के चेबारी(कासाकोटी) में हुआ। उनके पिता पंडित निक्का राम थे। बीए के अंतिम वर्ष में 1942 ईस्वी में स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए। 1942 ईस्वी से 1949 ईस्वी तक धर्मपुर, कसौली, डगशाई और कोटखाई में क्रंतिकारी गतिविधियों में भाग लिया। इन्होंने बुशहर और दूसरे रजवाड़ों की रियासतों में प्रजामंडल व्यवस्थित किए। प्रजामंडल कार्यों में भाग लेने के कारण उन्हें बिलासपुर और सुकेत में दो बार गिरफ्तार किया गया। दो बार हिमाचल विधानसभा के लिए चुने गए। 15 सितंबर, 1999 ईस्वी को इनका निधन हो गया।


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