हिमाचल में महकेंगे इटली के सेब
प्रदेश बागबानी विभाग ने खरीदे डेढ़ लाख पौधे, बागबानों में जल्द बंटेगी खेप
सोलन— विश्व बैंक की सहायता से प्रदेश बागबानी विभाग ने अब पुनः लाखों रुपए के सेब के पौधे इटली से खरीद लिए हैं। इटली से सेब के पौधों की खरीद पहले ही प्रदेश में दो वर्षों से सुर्खियों में है तथा दोबारा बागबानी मिशन के तहत प्रदेश के लिए डेढ़ लाख पौधों की खरीद की जा चुकी है। वर्ष 2015 में इटली से आयातित पौधों में वायरस पाया गया था तथा इस मामले में व्यापक जांच भी हुई थी। हालांकि पुरानी खरीद का मुद्दा माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन भी है, परंतु अब लाखों रुपए की राशि पुनः खर्च करके इटली से सेब के पौधे आयात कर लिए गए हैं। सेब के आयातित इन पौधों में स्कारलेट स्पर-3, मूडी गाला, रेड विलाक्स, जेरोमाइन, बकाईमाला इत्यादि कई अन्य शामिल हैं। इन पौधों को बजौरा व बागथन की नर्सरियों में अवलोक के लिए रखा गया है। इसके बाद इन विदेशी पौधों को डेजिगनेटेड इंस्पेक्टिड ऑथोरिटी से हरी झंडी मिलने के उपरांत बागबानों को वितरित किया जाएगा। बागबानी विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इटली से आयात किए गए ऐसे पौधों को दो से चार महीने में ही तैयार किया जा सकता है। गौर हो कि प्रदेश को बागबानी मिशन के तहत विश्व बैंक द्वारा 34 करोड़ का एक प्रोजेक्ट मिला था। पहले भी इटली से पौधों की खरीद हुई थी, परंतु वायरस पाए जाने के बाद यह मामला प्रदेश में बहुत चर्चित रहा। अब पुनः डेढ़ लाख पौधों की खरीद पर लाखों रुपए खर्च कर दिए गए हैं। प्रदेश बागबानी निदेशक हेम राज शर्मा ने कहा कि इटली से आयात किए गए डेढ़ लाख पौधे अब तभी बागबानों को वितरित किए जाएंगे, जब लैब व डीआईए से सही रिपोर्ट प्राप्त हो जाएगी।
छह लाख सेब उत्पादक
प्रदेश में इस समय करीब छह लाख सेब के उत्पादक हैं तथा औसतन चार से पांच हजार करोड़ रुपए का सेब का करोबार होता है। इटली से खरीदे गए इन डेढ़ लाख पौधों की खरीद से छह लाख बागबानों की मांग कैसे पूरी होगी, इस पर भी चर्चा चल पड़ी है।
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