हे इंद्रदेव…अब तो बरसा दो मेघ

By: Dec 7th, 2017 12:05 am

पतलीकूहल  — घाटी में बारिश के इंतजार में किसानों व बागबानों की आंखें थकने को मजबूर हो गई हैं और हर दिन नीले अंबर की ओर टकटकी लगाए वर्षा का इंतजार कर रही हैं।  1घाटी के बागबान वर्षा के लिए तरस रहे हैं, वहीं ठंड का खुश्क मिजाज सभी पर भारी पड़ रहा है, जिससे खेतीबाड़ी का कार्य अधर में लटका हुआ है। बागीचों के कार्य को लेकर लोग बर्फबारी व वर्षा के लिए हर दिन अपने आराध्य देवी-देवताओं की शरण में जा रहे हैं, लेकिन इंद्रदेव अभी तक लोगों की दुआ को साकार नहीं कर पाए हैं। हालांकि नवंबर महीने के दूसरे पखवाड़े में क्षेत्र की ऊंची पर्वतमालाओं पर बर्फ की चादर से शृंखलाओं का शृंगार तो हुआ और थोड़ी-बहुत राहत वर्षा से मिली, लेकिन किसान अब क्षेत्र में वर्षा की एक-एक बूंद को तरस रहे हैं। यही कारण है कि मौसम का खुश्क रवैया किसानों व बागबानों की चिंता बढ़ा रहा है। वर्षा न होने से क्षेत्र में खेतीबाड़ी के समस्त काम रुक गए हैं। घाटी में तीन-चार दिन से ऊंची पर्र्वतमालाओं पर छाने वाले बादल छुटपुट बर्फबारी तो करते हैं, लेकिन निचले क्षेत्र में वर्षा के लिए लोग तरस रहे हैं। पहाड़ों से चलने वाली हवाओं की तासीर खून को जमाने  में तो सफल हो। क्षेत्र में बर्फबारी व वर्षा की कमी के चलते किसानों व बागबानों को चिंता सता रही है, लेकिन पर्यटकों को यह मौसम खूब भा रहा है।


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