अजनोली में प्रवचनों की बौछार

By: Jan 15th, 2018 12:05 am

ऊना— जीवन की अविद्या मिटते ही सर्वशक्तिमान प्रभु का दीदार हो जाता है। भगवान के निरंतर चिंतन से मनुष्य रोग एवं शोक से रहित हो जाता है। प्रभु के निकट आने के लिए अहोभाव से आपूरित हृदय अधिक उपयुक्त है। जीवन एक वीणा की तरह है। इस पर कोई भी राग गाया जा सकता है। हम अगर दुख या चिंता में जी रहे हैं तो इसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं भगवान नहीं। यह प्रवचन श्रीमद्भागवत कथा के समापन सत्र में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण महाराज ने एकादश रुद्र महादेव मंदिर अजनोली में किए। उन्होंने कहा कि ईश्वर की असीम सत्ता का अनुभव करने से अपने होने का एहसास विसर्जित हो जाता है। दूसरी चीज यह की हम सतत परिवर्तन की धारा में बहे जा रहे हैं। कल हम कुछ और थे, आज कुछ और हैं, कल कुछ और होंगे। इस अवसर पर मंदिर के परमाध्यक्ष स्वामी रामानंद महाराज ने सारी संगत को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं दीं एवं माघ मास का महात्म्य भी बताया। कथा में भगवान श्रीकृष्ण के 16108 विवाह, युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ, सुदामा को ऐश्वर्य की प्राप्ति, सुभद्रा विवाह, भगवान का स्वधाम गमन एवं परीक्षित के मोक्ष का प्रसंग सभी ने अत्यंत श्रद्धा से सुना। कथा में सभी ने एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर भगवान श्रीकृष्ण एवं श्रीराधारानी जी के साथ ब्रज की रंग-बिरंगी होली का भी आनंद लिया।


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