अधोसंरचना विकास से निखरेगा पर्यटन

By: Jan 16th, 2018 12:05 am

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

पर्यटकों को सुविधाओं से सुसज्जित आवास, गुणवत्तायुक्त भोजन के अलावा सैर सपाटे के लिए साफ-सुथरी गाडि़यां उपलब्ध करवाना समय की मांग है। हमें ध्यान रखना होगा कि पर्यटकों को बेहतर सड़क, संचार, सुरक्षा तथा आधुनिक सुविधाओं के दम पर ही अपने यहां आने के लिए हम राजी कर सकते हैं…

हिमाचल प्रदेश को प्रकृति ने भरपूर प्राकृतिक सुंदरता, जल, जंगल, पहाड़, नदियों और स्वच्छ परिवेश से नवाजा है । वर्ष पर्यंत किसी न किसी क्षेत्र में मेलों का आयोजन होता रहता है। यहां के दो हजार से ज्यादा प्रमुख देवस्थलों पर लोग अपनी आस्था के पुष्प अर्पित करते हैं। यहां के मेलों में कुल्लू का दशहरा, रामपुर का लवी, चंबा का मिंजर, सुजानपुर की होली, बैजनाथ तथा मंडी का शिवरात्रि महोत्सव, लाहुल का हाल्दा पर्व, स्पीति घाटी में देचांग और फागली, भागा घाटी का गोच्ची उत्सव, ऊना में बाबा बड़भाग सिंह मेला और बौद्ध अनुयायियों का लोसर पर्व विश्व प्रसिद्ध हैं। रेड दि हिमालय, माउंटेन बाइकिंग, रिवर राफ्टिंग और बिलिंग में पैराग्लाइडिंग जैसे साहसिक खेल पर्यटन से यहां के युवाओं को स्थायी रोजगार के विकल्प भी मिले हैं। होटल तथा होम स्टे द्वारा भी आथित्य सत्कार की दर में वर्ष-दर-वर्ष सुधार आ रहा है। इस सबके बावजूद वैश्विक पर्यटन परिदृश्य की तुलना में भारत और हिमाचल प्रदेश को कई सुधारात्मक कार्यों को सिरे चढ़ाने की जरूरत है। इससे न केवल पर्यटकों की आमद में बढ़ोतरी होगी, हमारे युवाओं के लिए इस क्षेत्र में रोजगार के द्वार खुलेंगे और राज्य की आर्थिकी को भी सहारा मिलेगा।

हिमाचल प्रदेश को पर्यटन क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए कई संस्थाओं द्वारा अनेक पुरस्कारों से भी नवाजा गया है। इनमें 2015-16 की अवधि के लिए नेशनल गोल्ड ई-गवर्नेंस अवार्ड, 2016 की अवधि में ही बेस्ट इंडियन डेस्टिनेशन फॉर एडवेंचर अवार्ड और सीएनबीसी द्वारा बेस्ट माउंटेन एंड हिल डेस्टिनेशन अवार्ड भी शामिल है। राज्य में जनवरी से दिसंबर, 2016 की अवधि में कुल एक करोड़ 79 लाख घरेलू पर्यटकों और चार लाख 52 हजार विदेशी सैलानियों ने सैर की। भारत के परिप्रेक्ष्य में देखें तो जनवरी से जुलाई 2017 के बीच कुल 56 लाख 74 हजार विदेशी पर्यटकों की आमद रही, जो गत वर्ष इसी अवधि की तुलना में 15.7 फीसदी ज्यादा है। वर्ष 2016 के 11 महीनों में कुल 79 लाख विदेशी सैलानियों ने भारत की सैर की और इससे भारत को करीब एक लाख 39 हजार करोड़ रुपए की कमाई हुई।

विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार वर्ष 2007 में कुल अंतरराष्ट्रीय पर्यटक प्राप्तियां 856 अरब डालर की थीं और इसमें भी मिस्र, फिजी और थाईलैंड जैसे राष्ट्रों की महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी थी। आप यहां गौर फरमाएं, तो पाएंगे कि प्राचीन भारतीय नाम वाले श्यामदेश-थाईलैंड जैसे मात्र सात करोड़ की जनसंख्या वाले देश में ही प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक सैर सपाटे के लिए पहुंचते हैं। वहां की सरकारों द्वारा पिछले तीन दशकों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियों और कार्यक्रमों की रूपरेखा से यह उपलब्धि हासिल की गई है। विश्व पर्यटन संगठन के आंकड़ों के अनुसार साल 2016 में 1.2 बिलियन अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों ने विश्वव्यापी सैर की, जिसमें सर्वाधिक 82.6 मिलियन पर्यटकों ने फ्रांस की सैर की थी, फिर क्रमशः अमरीका, स्पेन, चीन, इटली, ब्रिटेन, जर्मनी, मेक्सिको, थाईलैंड और दसवें स्थान पर तुर्की में पर्यटक पहुंचे। एशिया में पर्यटक आवाजाही के मामले में भारत 8वें स्थान पर है। चीन पहले और थाईलैंड दूसरे स्थान पर है। इतना ही नहीं, थाईलैंड जैसे छोटे से द्वीपीय देश ने 2016 में पर्यटन द्वारा 49.9 बिलियन डालर की कमाई की, जबकि इसी अवधि में भारत की आय मात्र 22.4 बिलियन डालर थी। हिमाचल प्रदेश के वन विभाग ने 2005 में ईको पर्यटन नीति तैयार की थी। इसका मकसद प्रदेश में ऐसा माहौल तैयार करना था, ताकि प्रकृति के सान्निध्य का पर्यटक भरपूर आनंद भी उठाएं और यहां के सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक परिवेश को भी कम से कम नुकसान पहुंचे। इसी उद्देश्य से 16 ईको सर्किट परियोजनाओं की रूपरेखा तैयार भी की गई थी, ताकि ग्रामीण एवं दूरदराज के इलाकों के नागरिकों के लिए इसके जरिए रोजगार एवं स्वरोजगार के साधन जुटाए जा सकें। इस योजना के तहत विदेशी सैलानियों के साथ विद्यार्थियों को भी जोड़ने और टै्रकिंग रूट तैयार करना था। हिमाचल की नैसर्गिक सुंदरता से भरपूर दुर्गम क्षेत्रों में घरेलू तथा विदेशी सैलानियों को पहुंचाने की योजना वाले इस प्रोजेक्ट से पर्यटन को गति मिल सकती है यदि इस योजना को सिरे चढ़ाया जाए। हाल ही में हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा आयोजित एक तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में ‘संरक्षित क्षेत्रों के आसपास रहने वाले सीमांत समुदायों के लिए आजीविका विकल्प के विकास की दिशा में एकीकृत दृष्टिकोण’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में ईको टूरिज्म और होम स्टे योजनाओं को समग्रता में लागू किए जाने की वकालत की गई, ताकि यहां के स्थानीय निवासियों को भी रोजगार उपलब्ध हो सकें और पर्यटकों को भी रहने ठहरने की सुंदर व्यवस्थित सुविधाएं मिल सकें।

पर्यटकों को सुविधाओं से सुसज्जित आवास, गुणवत्तायुक्त भोजन के अलावा सैर सपाटे के लिए साफ-सुथरी गाडि़यां उपलब्ध करवाना समय की मांग है। पर्यटन विकास विभाग ने इन दिनों प्रदेश के 53 होटलों में बुकिंग पर 20 से 40 प्रतिशत तक छूट की घोषणा कर रखी है, जो स्वागतयोग्य पहल है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि अधिक पर्यटकों वाली जगहों पर अमृतसर में सारागढ़ी सराय की तर्ज पर पार्किंग युक्त बहुमंजिला आवासीय इकाइयों का निर्माण करवाया जाए तथा तकनीक के उचित इस्तेमाल से ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था की जाए। हमें ध्यान रखना होगा कि पर्यटकों को बेहतर सड़क, संचार, सुरक्षा तथा आधुनिक सुविधाओं के दम पर ही अपने यहां आने के लिए हम राजी कर सकते हैं।

ई-मेल : rmpanuj@gmail.com


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