आम आवाज को अंजाम तक पहुंचाना है उपलब्धि

By: Jan 21st, 2018 12:05 am

अपनी प्रखर लेखनी से सरकार की चूलें हिला देने वाला पत्रकार समाज को आईना दिखाकर सच से रू-ब-रू करवाता है। सरकार और आवाम के बीच की इस कड़ी को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ यूं ही नहीं कहते। यह वह सेतू है जो देश और समाज की तरक्की की दिशा और दशा तय करता है। पर क्या बदलते परिवेश और दबाव के बीच पत्रकार कहीं सरकार का ही तो होकर नहीं रह गया है? पत्रकारों की कहानी पत्रकारों की जुबानी आपके सामने ला रहा है प्रदेश का अग्रणी मीडिया ग्रुप दिव्य हिमाचल

    -मंडी  से आशीष भरमोरिया की रपट

पत्रकारिता की मंजिल क्या है

पत्रकार की सही मंजिल यही है कि जिसे दो स्तभों से न्याय न मिले उनकी आवाज पत्रकार बनें। समाज में कई तबके ऐसे होते हैं, जिनकी आवाज सरकारों तक पहुंचती ही नहीं। ऐसे में जब कोई पत्रकार जनता के मुद्दे उठाए और अंजाम दे वही असली मंजिल है।

जनता की आवाज को सरकार तक पहुंचाना ही पत्रकार की मंजिल है। हर व्यक्ति सीधा सरकार से संवाद नहीं कर सकता। इन हालातों में जब कोई पत्रकार आम आदमी की आवाज को बुलंद करता है और सरकार से लेकर प्रशासन तक उसकी मांग पहुंचाता है, तो वही उसकी मंजिल होनी चाहिए।

अपने पेशे की गरिमा को बचाते हुए जनता का विश्वास जीतना ही पत्रकार की मंजिल है। आम आदमी आज भी सरकार से ज्यादा पत्रकार पर भरोसा करता है। ऐसे में पत्रकार विश्वसनीयता और निष्पक्षता के साथ काम करे और आम आदमी की आवाज बनते हुए रिटायर होना ही उसकी मंजिल होती है।

पत्रकार और सरकार के रिश्तों को आप क्या मानते हैं

पत्रकार और सरकार के रिश्ते सौहार्दपूर्ण होने चाहिएं, यह बेहद जरूरी है। अन्यथा सरकारी की नीतियां जनता तक नहीं पहुंचेंगी। हालांकि इसका दूसरा पहलू यह भी है कि यह सौहार्द सरकारी सुविधाओं का न हो। ऐसा होगा तो पत्रकार की लेखनी जनता के मुद्दों की नहीं रहेगी।

्रपत्रकार और सरकार का रिश्ता एक कड़ी का काम करता है। अगर यह कड़ी मजबूत होगी, तभी सफर सौहार्दपूर्ण होगा।  इनके रिश्ते हमेशा रचनात्मक  और आलोचनात्मक होते हैं। पत्रकार के सही रिश्ते यही हैं कि वह सरकार से न ज्यादा नजदीक हो और न ही दूर हो। पत्रकार अपने रिश्तों का निजी हितों के लिए इस्तेमाल न करें।

दोनों का रिश्ता एक दूसरे के बीच एक कड़ी के रूप में होता है। पत्रकार सरकार के सामने एक चुनौती के रूप मे खड़ा होता है, लेकिन इस बीच एक रिश्ता भी कायम होता है, जिसे कहीं न कहीं रेखांकित करना जरूरी है। यह रिश्ता सरकार के पैरोकार का न बन जाए, इससे बचना चाहिए। पत्रकार को चाहिए कि निजी हितों को त्याग कर आम आदमी की आवाज को सरकार तक पहुंचाए।

किसी भी पत्रकार की सबसे बड़ी उपलब्धि

पत्रकार समाज का आईना होता है। ऐसे में पत्रकार की स्वच्छ छवि हो यही उसकी उपबलब्धि है। हम एक तरह से कोयले की खान में हैं। एक पत्रकार जब कभी भी इस खान से बाहर निकले और उस पर कोई दाग नहीं हो यही उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।

अपनी कलम से किसी दबे हुए तबके के लिए न्याय की आवाज बन सकें, यही पत्रकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। कई मर्तबा ऐसे मामले भी होते हैं, जहां पीडि़त को व्यवस्था और धनबल के जरिए दबा दिया जाता है। ऐसे मुद्दों को उठाना और अंजाम तक पहुंचाना पत्रकार की  उपलब्धि है।

जब भी कोई पत्रकार किसी मुद्दे को उठाता है और वह मुद्दा अपने अंजाम तक पहुंचता है यही पत्रकार के लिए अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि होती है। इसे पत्रकार की सच्ची और बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जाना चाहिए, क्योंकि पत्रकार का पेशा ही यही है।


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