आयोजन : विश्व पुस्तक मेले में हिमाचल

By: Jan 21st, 2018 12:05 am

दिल्ली में 6 से 14 जनवरी तक 9 दिवसीय विश्व पुस्तक मेले में हिमाचल की रचनाशीलता की उपस्थिति निश्चित रूप से शानदार व उत्साहवर्द्धक रही। हिमाचल के विभिन्न स्थानों से लंबा सफर तय कर ठिठुरती ठंड में अनेक लेखक दिल्ली पहुंचे। बहुत से लेखकों ने निजी स्तर पर प्रकाशकों के स्टाल पर ही वरिष्ठ साहित्यकारों से अपनी-अपनी पुस्तकों का विमोचन करवाया। सोशल मीडिया में ऐसे लेखकों व पुस्तकों की खूब चर्चा रही। यह बात दीगर है कि जिस उत्साह व उमंग से लेखकों व पाठकों ने पुस्तक मेले में किताबों का स्वागत किया, कितने लोग उन्हें पढ़ेंगे और चर्चा करेंगे, यह संदिग्ध बना हुआ है। इंटरनेट, मोबाइल, व्हाट्ससेप और फेसबुक के फैलते संसार में छपे हुए शब्द की सत्ता को जिस बड़े पैमाने पर चुनौती मिली है, उसने किताबों के पढ़े जाने पर प्रश्नचिन्ह तो खड़े किए ही हैं, बावजूद इसके जनवरी के महीने में दिल्ली के प्रगति मैदान में राजधानी के अलावा देश के अनेक राज्यों से हजारों की संख्या में लोगों का प्रतिदिन मेले में पहुंचना और भारी भीड़ को देखते हुए किताबों के प्रति पुस्तक प्रेमियों का अनुराग चकित तो करता ही है। वर्ष 1972 में आरंभ हुए दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में जहां केवल 200 प्रकाशकों ने भाग लिया था, तो लगभग 45 साल बाद 800 प्रकाशकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। भारत के अलावा यूरोपीय यूनियन के बीस और विश्व के अन्य 40 देशों के कुल 1500 स्टाल इस मेले में लगाए गए। करोड़ों रुपए की पुस्तकें बिकी और पुस्तकों पर आयोजित गोष्ठियों और परिचर्चाओं से भी पुस्तक मेला गुलजार रहा। हिमाचल कला, संस्कृति अकादमी की ओर से 9 जनवरी को पुस्तकों की गहमागहमी, चमक और पुस्तक प्रेमियों की भीड़ के मध्य हिमाचली लेखकों का मंच सजाया गया। सद्यप्रकाशित पुस्तकों का लोकापर्ण, उन पर टीका-टिप्पणियां और वरिष्ठ लेखकों की उपस्थिति से अकादमी का प्रयास प्रशंसनीय रहा। लेखक, कवि व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बीके अग्रवाल ने लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता की तो व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय और कवि व एनबीटी के वरिष्ठ अधिकारी ललित लालित्या की मौजूदगी और लोकार्पित पुस्तकों पर टिप्पणियों ने इस समारोह को यादगार बना दिया। हिमाचल के सुपरिचित व्यंग्यकार अशोक गौतम के ताजा व्यंग्य संग्रह ‘पुलिस नाके पर भगवान’ का विमोचन हुआ। पुस्तक पर परिचर्चा में सरिता पत्रिका के संपादक उग्रसेन मिश्र ने गौतम के व्यंग्यों को धारदार बताया और सृजन की तरकश से निकले शब्द बाणों से व्यवस्था को लहूलुहान करने वाला बताया। महज 17 वर्ष की आयु में साहित्य जगत को विस्मित करने वाली रवितनया की अंग्रेजी पुस्तक ‘लाइफ इज ब्यूटीफुल’ पर प्रमोद शर्मा ने टिप्पणी प्रस्तुत की। उनके मुताबिक 420 पृष्ठों की पुस्तक में कुल 109 चैपटर्स हैं जिनमें रवितनया ने जीवन के राग-विराग, रोजमर्रा की घटनाओं, यात्राओं के साथ-साथ अभिभावकों, मित्रों के प्रति अपनी ‘कीन आब्जर्वेशन’ के किस्से-कहानियां संकलित की हैं। अपनी डैब्यू पुस्तक से साहित्य में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर रवितनया ने साबित कर दिया है कि लेखन भले ही उसे विरासत में मिला हो, वह अपने आसपास के वातावरण और ‘एम्बियंस’ को गहन दृष्टि से पकड़ने में माहिर है। अकादमी के सचिव कर्म सिंह की उद्घोषणा व तयशुदा कार्यक्रम के बावजूद एसआर हरनोट की किताब ‘नदी गायब है’ का विमोचन नहीं हुआ। विकासात्मक पत्रकारिता पर देवकन्या की पहली अंग्रेजी पुस्तक ‘डिवेलपमेंट जर्नेलिजम इन हिल्स’ का लोकापर्ण भी हुआ। यह किताब हिमाचल में विकासात्मक पत्रकारिता की दशा व दिशा को बयान करती है। यह पुस्तक इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसमें चार समाचारपत्रों हिंदुस्तान टाइम्स, द ट्रिब्यून, दिव्य हिमाचल और अमर उजाला में निश्चित अवधि में प्रकाशित विषयवस्तु का विश्लेषण किया गया है। वर्ष 2014 के दौरान अप्रैल से जून के तीन महीनों में इन समाचारपत्रों में प्रकाशित विकासात्मक समाचारों को पुस्तक का विषय बनाया गया है। पुस्तक पर प्रस्तुत टिप्पणी में स्नेहलता नेगी ने कहा कि देवकन्या ने ‘केस स्टडीज’ के जरिए पहाड़ी प्रांत हिमाचल में विकासात्मक पत्रकारिता के लिए उत्तरोत्तर सिमटते स्पेस पर चिंता जाहिर की है। इन पंक्तियों के लेखक राजेंद्र राजन के दूसरे लघु उपन्यास ‘मौन से संवाद’ का लोकार्पण भी हुआ। पुस्तक लोकार्पण समारोह के अंत में काव्य पाठ भी हुआ जिसमें कई साहित्यकारों ने भाग लिया।

                    -राजेंद्र राजन


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