एक फीसदी के पास 73 % संपत्ति

By: Jan 23rd, 2018 12:05 am

ऑक्सफैम के सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा, गरीबों-अमीरों के बीच आय में असमानता बढ़ी

नई दिल्ली— दुनिया भर में संपत्ति के बंटवारे में असंतुलन इस कद्र बढ़ रहा है कि पिछले साल बढ़ी 762 अरब डालर की संपत्ति का 73 फीसदी हिस्सा चंद धनकुबेरों के कब्जे में चला गया, जबकि अधिसंख्य आबादी की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आ पाया। ऑक्सफैम की सोमवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट ‘रिवार्ड वर्क, नॉट वैल्थ’ के मुताबिक, गत साल अरबपतियों की संपत्ति में 762 अरब डालर का इजाफा हुआ है, जो वैश्विक गरीबी को कम से कम सात बार खत्म करने की क्षमता रखती है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि तेजी से बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्था ने संपत्ति के बंटवारे में असमानता को चरम पर ला दिया है। मौजूदा अर्थव्यवस्था ने मात्र एक फीसदी धनकुबेरों को गत साल बढ़ी संपत्ति में 73  प्रतिशत हिस्सा दिया है, जबकि अत्यंत गरीब 50 प्रतिशत आबादी को इसमें कोई हिस्सा नहीं मिल पाया है। गत साल अरबपतियों की संख्या बढ़कर 2043 हो गई, जिनमें से 90 फीसदी पुरुष हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अरबपतियों की संख्या से पता चलता है कि संपत्ति कठिन श्रम और नवाचार से अधिक नहीं बढ़ी, बल्कि इसमें एकाधिकार, विरासत और सरकार के साथ सांठगांठ का अधिक योगदान है। इसके अलावा कर चोरी, श्रमिकों के अधिकारों का हनन और ऑटोमेशन ने भी इस असमानता को बढ़ावा दिया है। ऑक्सफैम इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक विन्नी बयानियमा का कहना है कि अरबपतियों की बढ़ी संख्या अच्छी अर्थव्यस्था का नहीं बल्कि निष्फल आर्थिक प्रणाली का प्रतीक है। उन्होंने कहा, जो लोग हमारे कपड़े बनाते हैं, हमारे फोन को असेंबल करते हैं औ हमारे लिए अन्न उगाते हैं, उनका शोषण होता है, ताकि हमें सस्ते सामान की अबाध आपूर्ति होती रहे और कंपनियों तथा अरबपति निवेशकों का लाभ बढ़ता रहे। ऑक्सफैम का कहना है कि मात्र 42 लोगों के पास जितनी संपत्ति है, उतनी ही संपत्ति 3.7 अरब लोगों के बीच बंटी है। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि किस तरह अमीर लोग सरकारी के नीति निर्माण को प्रभावित करते हैं और कर्मचारियों के हितों की अनदेखी करके शेयरधारकों तथा कंपनी के अधिकारियों को अधिक सुविधाएं तथा भत्ते देते हैं। कई अरब लोग अधिक देर तक काम करने, खतरनाक परिस्थितियों में काम करने, अधिकार के बिना करने को मजबूर हैं, लेकिन फिर भी वे खाना तथा दवा जैसी अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते हैं। ऐसा अनुमान है कि अगले 20 साल में 2.4 खरब डालर की संपत्ति अरबपतियों के वारिसों को मिलेगी, जो 1.3 अरब की आबादी वाले देश भारत के सकल घरेलू उत्पाद से भी अधिक है। ऑक्सफैम ने यह रिपोर्ट स्विट््जरलैंड के दावोस में मंगलवार से शुरू होने वाले विश्व आर्थिक मंच के वार्षिक सम्मेलन से ठीक पहले जारी की है। इस सम्मेलन में दुनिया भर के कई  देशों के राजनीतिज्ञ तथा कारोबारी हिस्सा ले रहे हैं। सम्मेलन का मुख्य विषय ॑क्रिएटिंग ए शेयर्ड फ्यूचर इन ए फ्रैक्चर्ड वर्ल्ड॑ है।

देश में पिछले साल बने 17 नए अरबपति

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल देश में 17 नए अरबपति बने, जिससे  देश में कुल अरबपतियों की संख्या 101 हो गई है। भारतीय अरबपतियों की दौलत में पिछले साल 4.89 लाख करोड़ रुपए का इजाफा हुआ और इस तरह यह बढ़कर कुल 20.7 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई है। यह आंकड़ा सभी राज्यों के स्वास्थ्य और शिक्षा बजट के 85 फीसदी के बराबर है।


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