एसजेवीएनएल के शिखर पर हिमाचली नंदलाल

By: Jan 10th, 2018 12:09 am

हिमाचली पुरुषार्थ

 प्रशासनिक सेवा में नंदलाल ने अपने सेवाकाल के दौरान  विभिन्न पदों यथा सहायक कमिश्नर, चंबा, एसडीएम अर्की, एसडीएम बड़सर, मुख्यमंत्री के उप सचिव, सचिव, एचपीएसईबी, भू-अधिग्रहण समाहर्ता, मंडी एवं शिमला, कमिश्नर (कामगार मुआवजा), विशेष सचिव (जीएडी), निदेशक आयुर्वेद तथा हिमाचल प्रदेश सरकार के विशेष सचिव (स्वास्थ्य) के रूप में कार्य किया…

बिलासपुर जिला के झंडूता उपमंडल के गांव डोहक के नंदलाल शर्मा को भारत सरकार द्वारा एसजेवीएनएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नियुक्त करने पर क्षेत्र में खुशी की लहर है। नंदलाल शर्मा इससे पहले निदेशक (कार्मिक) के पद पर कार्यरत थे। एसजेवीएनएल के पूर्व अध्यक्ष आरएन मिश्र की सेवानिवृत्ति के बाद नंदलाल शर्मा की नियुक्ति इस पद पर केंद्र सरकार की ओर से की गई है। नंदलाल शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर तथा ऊना जिले में सरकारी स्कूलों से पूरी की है। उन्होंने प्र्राथमिक शिक्षा मिडल स्कूल कोहड़रा में आठवीं तक, नवमी और दसवीं शाहतलाई, हायर सेकेंडरी लाठियाणी से पूरी की है। नंदलाल शर्मा के एक बेटा और बेटी हैं। बेटी एमकॉम कर रही है। बेटा आईआईटी धनबाद से इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर रहा है। नंदलाल शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के पश्चात उन्होंने डा. वाईएस परमार बागबानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन से बीएससी (कृषि) की शिक्षा प्राप्त की, जहां पर वह 1985 में गोल्ड मेडलिस्ट बने। एमएससी (कृषि अर्थशास्त्र) सन् 1987 में ऑनर्स प्रमाण-पत्र के साथ हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से की। एमबीए फैकल्टी ऑफ इकोनॉमिक्स यूनिवर्सिटी ऑफ स्लोवेनिया (यूरोप) से पूर्ण की। नंदलाल शर्मा ने बड़े भाई देसराज मोदगिल का कहना है कि इस पद पर भाई को नियुक्ति मिलने से पूरा परिवार में खुशी का माहौल है।

कौन-कौन से पदों पर सेवारत रहे

नंद लाल शर्मा ने जुलाई, 2008 में कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) के रूप में एसजेवीएन में पदभार ग्रहण किया। वहीं, हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी थे।  प्रशासनिक सेवा में इनके सेवाकाल के दौरान उन्होंने विभिन्न पदों यथा सहायक कमिश्नर, चंबा, एसडीएम अर्की, एसडीएम बडसर, मुख्ययमंत्री के उप सचिव, सचिव, एचपीएसईबी, भू-अधिग्रहण समाहर्ता, मंडी एवं शिमला, कमिश्नर (कामगार मुआवजा), विशेष सचिव (जीएडी), निदेशक आयुर्वेद तथा हिमाचल प्रदेश सरकार के विशेष सचिव (स्वास्थ्य) के रूप में कार्य किया ।

कृष्णपाल शर्मा, बंगाणा

जब रू-ब-रू हुए…

युवा बदलेंगे हिमाचली तस्वीर…

एक हिमाचली का इस पद पर होना भविष्य के लिए कौन सा आश्वासन है?

एसजेवीएनएल के अध्यक्ष पद का चयन राष्ट्रीय स्तर पर होता है। हिमाचल प्रदेश ने हमेशा ही देश, प्रदेश को योग्य अधिकारी दिए हैं। प्रदेश के लोगों की मेहनत चारों ओर दिखाई देती है। आगामी समय में भी प्रदेश के लोग बड़े पदों पर रहेंगे। हर क्षेत्र में प्रदेश के लोग आगे रहे हैं।

भविष्य में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगे। एसजेवीएनएल के जरिए प्रदेश की तरक्की का पथ, किन लक्ष्य को मंजिल बनाने जा रहा है?

एसजेवीएनएल की स्थापना नाथपा-झाखड़ी पावर कारपोरेशन के नाम से वर्ष 1988 में हुई थी। 1500 मेगावाट  की यह योजना थी। जिसमें प्रदेश सरकार का 25 फीसदी और केंद्र सरकार का 75 फीसदी उपक्रम था। वर्तमान में यह प्रोेजेक्ट देश का सबसे बड़ा हाइड्रोलेक्टिड प्रोजेक्ट है। इसमें 27 किलोमीटर की लंबी अंडरग्रांउड लंबी टनल है। अंडर ग्रांउड ही पावर हाउस है। हालांकि वर्ष 2003-2004 में कुछ समस्याएं भी आई थीं, लेकिन इंजीनियरों ने इसे सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। बाद में प्रदेश के अलावा अन्य बाहरी राज्यों सहित नेपाल, भूटान में प्रोजेक्ट चलाए। बिहार में थर्मल प्रोजेक्ट शुरू हैं। प्रदेश में सतलुज पर चार प्रोजेक्ट चल रहे हैं। अन्य प्रोजेक्ट भी प्रगति पर हैं। प्रदेश की तरक्की के साथ ही युवाओं को रोजगार भी उपलब्ध होगा।

आत्मनिर्भर होने के लिए हिमाचल प्रदेश को किस दिशा में अधोसंरचना, अध्ययन-शोध व निवेश करना होगा?

नेचरल रिसोर्सिंस में बिजली का दोहन हाइड्रोपावर प्रदेश में 27 हजार मेगावाट की क्षमता है। अभी तक 10 हजार मेगावाट के करीब दोहन हुआ है। प्रदेश यदि इस क्षेत्र में कार्य करता है, तो इससे प्रदेश की आर्थिकी भी सुदृढ़ होगी। पावर डिवेलपमेंट पर प्रदेश में एक रोड मैप बनाया जाए। इसी आधार पर प्रोजेक्ट बनाकर कार्य किया जाए। हाइड्रो इलेक्टिक प्रोजेक्ट से प्रदेश की आर्थिकी भी सुदृढ़ होगी। इससे प्रदेश में टूरिज्म डिवेलपमेंट को भी बढ़ावा मिलेगा। वहीं, रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

शिक्षा के वर्तमान स्वरूप में हिमाचली युवाओं की क्षमता में बढ़ोतरी नहीं हो रही है, तो क्या चाहिए?

हिमाचली युवाओं में क्षमता की बढ़ोतरी हो रही है। शिक्षण या स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध करवाया जाए। युवाओं को सक्षम बनाया जाना चाहिए। युवा भी अपने लक्ष्य से न भटकें। सामाजिक चेतना की भी आवश्यकता है।

पर्यावरणीय  हिसाब से बिगड़ते संतुलन को बचाने के लिए कौन से कदम जरूरी हैं?

हिमाचल प्रदेश की जलवायु, पशुपालन को उबारना, आर्गेनिक फार्मिंग, बिजली के दोहन के लिए बेहतर है। प्रदेश में सड़कें, बिजली, कम्युनिकेशन नेटवर्क बेहतर होना चाहिए। पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए उद्योग भी लगने चाहिए, लेकिन नई तकनीक से विकास होना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण बनाए रखने के लिए नए शोध कार्य हों। दो अक्तूबर, 2019 तक पूरे भारत वर्ष को स्वच्छ बनाने का लक्ष्य पूरा होगा।

पर्वतीय तकनीक के हिसाब से हिमाचल में विद्युत परियोजनाओं में किन पहलुओं पर तवज्जो  मिल रही है?

प्रगतिशील हिमाचल और क्षेत्र में एक मॉडल होल्डिंग स्टेट। सफलता का कोई शार्टकट रास्ता नहीं है। संघर्ष और मेहनत से ही आगे बढ़ना है। पर्वतीय तकनीक से हिमाचल को आगे बढ़ाने को तरजीह दी जा रही है।

विद्युत राज्य का तमगा पहनकर भी हिमाचल अपनी क्षमता का दोहन क्यों नहीं कर पा रहा। वास्तविक अड़चन है कहां? अपने व्यक्तित्व की विविधता के बावजूद आप खुद में स्थायी रूप से किस तरह जुड़ते हैं?

प्रदेश में सभी तरह की परियोजनाएं हैं। माइक्रो स्माल और बिग प्रोजेक्ट हैं। इन्हें विकसित करना चाहिए। योजनाओं के तहत बड़े प्रोजेक्टों को भी हाइड्रो इंसेंटिव मिलना चाहिए। भारत वर्ष में किसी राज्य में बिजली का दोहन सबसे ज्यादा प्रदेश में हुआ। कुल 45 हजार मेगावाट देश में हाइड्रो पावर के तहत दोहन हो चुका है। अकेले प्रदेश में ही यह आंकड़ा 10 हजार तक पहुंच चुका है। अभी भी प्रदेश की क्षमता 17 हजार मेगावाट तक है।

हिमाचली के प्रति आपका विजन?

सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य में इन्वेस्टमेंट जरूरी है। नई तकनीक की भी आवश्यकता है। गांव तक विकास जरूरी है। प्रदेश के युवाओं को रोजगार मिले, आत्मनिर्भर बनकर अपनी आर्थिकी सुदृढ़ कर सकें। इसके लिए कार्य करेंगे।

अगर आपको अपने जीवन वृत्त का सारांश बताना हो, तो क्या कहेंगे?

आज मैं जो भी हूं उससे संतुष्ट हूं। जीवन के जिस मुकाम पर पहुंचा हूं वहां अपने परिजनों, सहयोगियों के सहयोग से भी पहुंच पाया हूं। कड़ी मेहनत के दम पर ही यहां तक पहुंचा हूं।

कितने संतुष्ट, कितने अधीर हैं अभी?

संतुष्ट हूं और आगे बढ़ रहा हूं। अभी भी आगे बढ़ने की क्षमता है।  आगे बढ़ने का नो फुल स्टॉप है। मुझे चीजों से अलग चलने की आदत है। रटा रटाया, लिखा लिखाया, इससे अलग करने की प्रवृत्ति है। रास्ते बदलता रहता हूं।

लक्ष्य की खोज में आपने रास्ते बदले या यूं ही सफर तय कर लिया। कोई एक सिद्धांत जिसने आगे बढ़ने की प्रक्रिया बना दी या जहां आज भी परिक्रमा करनी पड़ती है?

वर्क हार्ड, हमेशा आंखे खुली और सिर ऊंचा करके चलो।


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