कर्ज लेकर घी गटकती रही एचआरटीसी

By: Jan 3rd, 2018 12:10 am

260 करोड़ का लोन उठाकर खरीदीं 350 से ज्यादा बसें, अब हर महीने छह करोड़ की किस्त

शिमला— हिमाचल का बस निगम करोड़ों का कर्ज उठाकर घी गटकता रहा। एचआरटीसी ने 260 करोड़ का लोन लेकर 350 से भी ज्यादा बसें खरीद लीं, जिन पर हर महीने छह करोड़ की किस्त अदा की जा रही है। हैरानी की बात है कि निगम की प्रतिदिन की कमाई 1.90 करोड़ है, जबकि खर्च अढ़ाई करोड़ का। प्रति किलोमीटर नौ रुपए का घाटा निगम झेल रहा है। निगम बस फ्लीट पिछले पांच सालों में 2300 से बढ़ाकर 3260 कर दिया गया। यही नहीं, 2700 रूट्स की फेहरिस्त में से निगम के 165 रूट्स ही मुनाफे में हैं, बाकी सभी घाटे में। निगम की माली हालत इतनी नाजुक है, बावजूद इसके वोल्वो का एक बड़ा फ्लीट खड़ा कर दिया, जिसमें 50 बसें तो निगम ने अपने बूते ही खरीद लीं, जबकि 60 के करीब बसें वैट लीज पर ली गई है। राजस्थान जैसे पर्यटन व बड़े राज्य में 70 वोल्वो बसें वहां का निगम दौड़ा रहा है, जबकि हिमाचल में 110 बसें दौड़ रही हैं। इनमें से 80 फीसदी बसें घाटे में चल रही हैं। निगम की कमजोर वित्तीय हालात के लिए ये कदम भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं। एचआरटीसी को राज्य सरकार 150 करोड़ की सबसिडी सालाना प्रदान करती है, जबकि 50 करोड़ की राशि कैपिटल के तौर पर दी जाती है। यानी इस बजट से निगम पुरानी व खटारा बसों के स्थान पर नई बसें खरीद सकता है। इस तरह से दावों के विपरीत निगम का सबसिडी के बिना सालाना घाटा 175 करोड़ का बताया जाता है। बहरहाल, नई सरकार के लिए प्रदेश की यह सबसे बड़ा निगम किसी बड़े सिरदर्द से कम नहीं होगी। घाटा दूर करने के लिए परिवहन मंत्री गोबिंद सिंह ठाकुर को बड़ी जद्दोजहद करनी होगी।

वोल्वो निगम के लिए नया अड़ंगा

वेट लीज पर ली गई 60 के लगभग वोल्वो बसों के लिए निगम ने दिल्ली की दो व हिमाचल की एक पार्टी से पांच साल का करार कर रखा है। यानी नई सरकार चाह कर भी इसे पलट नहीं पाएगी, जबकि अधिकांश बसें घाटे से जूझ रही हैं।

851 में से 350 बसें खड़ीं

जेएनएनआरयूएम की जो 851 बसें खरीदी गई थीं, उनमें से 350 विभिन्न स्थानों पर नकारा खड़ी हैं। इन्हें जो रूट परमिट मिले थे, उन पर एचआरटीसी की नई खरीद की गई बसें दौड़ाई जा रही हैं।


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