कारगिल में घुसपैठ की पहली सूचना सौरभ कालिया ने दी

By: Jan 31st, 2018 12:05 am

सौरभ कालिया यह देखने वाला और सूचित करने वाला पहला भारतीय अधिकारी था कि कारगिल में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सेना और भाड़े पर काम करने वालों की भारतीय क्षेत्र की ओर नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में घुसपैठ हुई थी। उन्होंने कोकसर क्षेत्र में घुसपैठ रोकने के लिए 13000-14000 फुट की ऊंचाई पर ‘बजरंग पोस्ट’ की रक्षा का कार्य ग्रहण किया…

कैप्टन सौरभ कालिया

कैप्टन सौरभ कालिया (1976-1999) भारतीय सेना के एक अधिकारी थे, जो कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए। वह पाकिस्तानी सेना द्वारा युद्धबंदी के रूप में पकड़े गए थे। वह और उनके पांच सैनिक रक्षा के निमित्त रात्रि में चक्कर लगा रहे थे और जीवित पकड़े गए और पाकिस्तानी हिरासत में रहे, जहां उनको यातनाएं दी गईं और उनके अंग भंग किए गए। सौरभ का जन्म 30 जून, 1976 ई. में अमृतसर में श्रीमती विजय और डा.एनके कालिया के घर हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा डीएवी पब्लिक स्कूल पालमपुर में हुई थी। सौरभ ने 1997 ई. में कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से स्नातक (बीएसी) की डिग्री हासिल की। उन्होंने पढ़ाई में बढ़त ली और प्रथम श्रेणी में पास करते हुए अपने सारे शैक्षिक जीवन में छात्रवृत्ति प्राप्त करते रहे। वह संयुक्त प्रतिरक्षा सेवाओं (कंबाइड डिफेंस सर्विस) के द्वारा भारतीय सेना अकादमी (इंडियन मिलिट्री अकादमी) देहरादून में अगस्त, 1997 चयनित हुए और 12 दिसंबर, 1998  ई. को उन्हें कमीशन मिला। उनकी पहली नियुक्ति कारगिल सेक्टर में चार जाट रेजिमेंट (इन्फेंट्री) में हुई। जाट केंद्र बरेली में 31 दिसंबर, 1998 ई. को रिपोर्ट करने के बाद वह मध्य जनवरी, 1998 ई. में वहां पहुंचे। मई 1999 ई. के पहले दो सप्ताहों में कारगिल क्षेत्र के कोकसर लंगणा में उन्होंने सैनिक रक्षा के निमित्त रात्रि में कई बार चक्कर लगाए, यह देखने के लिए कि गर्मियों में स्थान ग्रहण करने के लिए क्या बर्फ पीछे हट गई थी। वह यह देखने वाला और सूचित करने वाला पहला भारतीय अधिकारी था कि कारगिल में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सेना और भाड़े पर काम करने वालों की भारतीय क्षेत्र की ओर नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में घुसपैठ हुई थी। उन्होंने कोकसर क्षेत्र में घुसपैठ रोकने के लिए 13000-14000 फुट की ऊंचाई पर ‘बजरंग पोस्ट’ की रक्षा का कार्य ग्रहण किया। 15 मई, 1999 ई. को सौरभ कालिया चार जाट रेजिमेंट के पांच अन्य सैनिकों, सिपाही अर्जुन राम, भंवर लाल बगारिया, भीका राम, मूला राम के साथ लद्दाख पहाडि़यों के रुखे, वृक्षों से रहित कोकसर सेक्टर बजरंग पोस्ट की नियमित पेट्रोल (सैनिक रक्षा के निमित्त रात्रि में घूमना) पर गए थे। नियंत्रण रेखा (एलओसी) के आरपार हथियारबंद पाकिस्तानी सेना के साथ लगातार आपसी गोलाबारी के बाद उनके और उनके ट्रूप के पास गोला- बारूद की कमी पड़ गई। अंततः वे एक पाकिस्तानी रेंजर की प्लाटून के द्वारा घेर लिए गए और भारत की ओर से किसी सैनिक सहायता के पहुंचने से पहले ही पकड़ लिए गए। इस पेट्रोल का कोई सुराग नहीं मिला, उसी समय पाकिस्तानी रेडियो ने घोषणा की कि कैप्टन सौरभ कालिया पाकिस्तानी टुकड़ी के द्वारा पकड़ लिए गए थे। इसके बाद भारत को पता चला कि नियंत्रण रेखा के भीतर भारत की ओर सैकड़ों गुरिल्ला सैनिकों ने आधुनिक हथियारों  से लैस पाकिस्तान नियंत्रित कश्मीर तक आपूर्ति रेखा सहित किलाबंदी की स्थिति स्थापित की हुई थी।


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