गुजरूधार के जंगल में आग का तांडव

By: Jan 21st, 2018 12:05 am

करसोग  – पिछले कई महीनों से अंबर खामोश है। वहीं, दूसरी तरफ  करसोग के जंगलों में आग का कहर बुरी तरह बरस रहा है। कई स्थानों पर बेशकीमती वन संपदा धू-धू कर जल रही है। लाखों करोडों जीव जंतु, वन्य प्राणियों का जीवन बुरी तरह खतरे में पड़ा हुआ है। वन विभाग के साथ-साथ प्रदेश सरकार को भी तुरंत गौर करना चाहिए कि करसोग के जंगलों को आगजनी की घटनाओं से किस तरह बचाया जा सके। जुटाई गई जानकारी के अनुसार सर्दी के मौसम में भी करसोग के कई जंगल आग का शिकार हो चुके हैं तथा हर रोज आगजनी का कहर करसोग के जंगलों में देखा जा रहा है। हालांकि वन मंडल करसोग में कई जंगल ऐसे है जहां पर अग्निश्मन पहुंचना तो दूर की बात वन विभागके कर्मीयों का भी आग बुझाने के लिए घटना स्थल पर पहुंचना नामुमकिन जैसा दिखाई दे रहा है। परंतु हैरानी की बात है कि दूरदराज व सड़क से दूर होने के बावजूद जंगलों में आग कैसे भड़क रही है यह एक गहन जांच का विषय है। गत रात्रि तत्तापानी से करसोग की तरफ आते हुए स्पष्ट देखा गया कि अलसिंडी के पिछले तथा मौहटा के सामने वाले गुजरूधार आदि जंगलों के समीप आग का तांडव इस कदर अपना कहर बरपा रहा है कि करीब 80 किलोमीटर दूर से ही करसोग के जंगल आग का शिकार हो रहे हैं ऐसा स्पष्ट देखा जा सकता है। नजदीक पहुंचने पर तो जंगलों में आग का डरावना रूप देख कर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि भविष्य में जंगलों को फिर से खडे़ होने में कितना संघर्ष करना पडे़गा। परंतु हैरानी की बात है कि आग सड़क से दूर जंगलों में लग कैसे रही है। इसको लेकर वन विभाग के संबंधित क्षेत्र में तैनात कर्मियों से जवाब तलबी करने के लिए सरकार को कड़ा रूख अपनाना होगा। गत वर्षों के दौरान करसोग के जंगलों में जब भी आग लगी तो वन विभाग यही रटा रटाया जवाब देता है कि कोई विशेष नुकसान नहीं हुआ है और आग जमीनी तौर पर ही लगी है।  वन रेंज अधिकारी पांगणा महेंद्र कुमार ने कहा कि मोहटा के सामने वाले जंगलों में तथा अन्य कुछ स्थानों पर जो आगजनी हुई है वहां पर तुरंत आग बुझाने के दिशा-निर्देश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में आगजनी की घटना होने पर पुलिस थाना करसोग में भी शिकायत दर्ज की गई है।


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