गुरु-शिष्य बन पिता-पुत्र चला रहे सरकारी स्कूल

By: Jan 21st, 2018 12:07 am

नगरोटा बगवां— नगरोटा बगवां शिक्षा खंड का एक सरकारी स्कूल, जिसके चार कमरे, लंबा-चौड़ा परिसर और एक बढि़या किचन, सहूलियतें तो हैं, पर यह पाठशाला मात्र एक छात्र और एक शिक्षक के सहारे पर चल रही है। ‘दिव्य हिमाचल ने इससे भी हैरान कर देने वाली इस स्कूल की एक बात पता लगाई कि यह शिष्य और गुरु और कोई नहीं, पिता-पुत्र हैं। यह ग्राम पंचायत मलां का प्राइमरी स्कूल बुहली मझेटली है, जो सिर्फ पिता-पुत्र की बदौलत अपना अस्तित्व बनाए हुए है। यहां मिड-डे मिल कायदे के मुताबिक हर रोज पकता है, जिसके लिए भी एक वर्कर भी तैनात है, लेकिन खाने वाला सिर्फ एक छात्र। एक सच्चाई यह भी है कि स्कूल के नाम को सार्थक करने के लिए उक्त अध्यापक को मजबूरी में एक निजी स्कूल से अपने ही बेटे को निकाल कर बीच सत्र में यहां दाखिल करवाना पड़ा। अब बाप-बेटा अपने घर से करीब तीन किलोमीटर दूर इस सरकारी संस्थान को जीवंत बनाए रखने के लिए डटे हैं। पहली कक्षा में पढ़ने वाला यह छात्र अपने पिता के साथ ही स्कूल जाता है और शाम को घर लौटता है, जबकि अजब संयोग के तहत उक्त शिक्षक पिता और गुरु दोनों का दायित्व निभा रहा है। सूत्र बताते हैं कि उक्त स्कूल को सरकार द्वारा वर्ष, 2002 में भव्य भवन तो समर्पित कर दिया, लेकिन यहां शिक्षार्थियों की संख्या हमेशा निराशाजनक रही, जो कभी भी दहाई के अंक को पार नहीं कर पाई। मार्च, 2017 को सरकारी आदेशों के तहत स्कूल पर ताला लगा दिया गया, लेकिन सितंबर माह में दोबारा सरकार के ही आदेशों के मुताबिक स्कूल को पुनः खोलने के फरमान जारी हो गए। इसी दौरान विभाग ने एक जेबीटी शिक्षक को भो यहां नियमित तैनाती दे दी, जब स्कूल में एक भी बच्चा नहीं था। इस तरह स्कूल को बनाए रखने के लिए यहां तैनात शिक्षक को ही अपना बच्चा निजी स्कूल से निकाल कर दाखिल करवाना पड़ा। उधर, अब स्कूल के शिक्षक को इतना भरोसा है कि यहां छात्रों की संख्या बढ़ेगी। इसके लिए वह लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। हालांकि अभी तक यह स्कूल बिजली, पानी और शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है। वहीं, अब जयराम सरकार आगे ऐसे स्कूलों के लिए क्या नीति अपनाएगी, देखने वाली बात होगी।


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