गेहूं पीली, आम में अधकचरा बौर

By: Jan 21st, 2018 12:05 am

कांगड़ा घाटी पर सूखे की सबसे बड़ी मार; गेहूं का बिस्तर गोल, नूरपुर के आम पर भी खतरे के बादल

नूरपुर –बारिश न होने से रबी के मौसम की फसलों पर और बागबानी पर सूखे का संकट छा गया । मौसमी हालात जल्द न सुधरे तो क्षेत्र की कृषि व बागबानी पर सूखे की मार किसानों-बागबानों की आर्थिकी को नुकसान पहुंचा सकती है। कांगड़ा घाटी में पिछले लगभग डेढ़ माह से भी ज्यादा समय से बारिश न होने से खेत-खलिहान सूखे के शिकार हो रहे हैं। फसलें खासकर गेहूं की फसल बिना पानी से सूखने के कगार पर है। गेहूं पीली पड़ने लगी है। इस बार गेहूं की बिजाई के समय पर्याप्त बारिश हुई थी और किसानों ने समय पर खोतों की बुआई करके गेहूं का उन्नत बीज व खाद डाल कर बेहतर खेती करने का प्रयास किया था, परंतु अब गेहूं की फसल को बारिश की सख्त जरूरत है। ऐसे में जिला की सबसे बड़ी फसल बर्बाद होने को है। नूरपुर क्षेत्र में करीब 9846 हेक्टेयर भूमि में गेहूं, 4640 हेक्टेयर भूमि में मक्की, 5872हेक्टेयर में धान तथा करीब 462 हेक्टेयर में सब्जियों की पैदावार होती है। उधर, बागबानी की बात करें तो नूरपुर क्षेत्र में नूरपुर, इंदौरा, फतेहपुर, जवाली  आदि में आम व संतरे के भारी संख्या में बागीचे लगे हैं। संतरे की पैदावार तो इस बार लगभग हो चुकी है परंतु आने वाली आम के मौसम की फसल के लिए इस समय बारिश होना बेहद जरूरी है। इस बार समय पर बारिश न होने से कृषि व बागबानी पर संकट के बादल छा गए है। बिना बारिश के आम के पौधों पर समय से पहले  बौर आना शुरू हो गया जबकि यह बौर जनवरी माह के अंत में आना शुरू होता था।

जिला में 40 हजार हेक्टेयर पर बागबानी…..

जिला में लगभग 40 हजार हेक्टेयर जमीन पर बागबानी होती है। यहां आम, संतरा व लीची आदि समेत विभिन्न प्रकार के फलदार पौधे लगे हैं। बागबानी के लिहाज से नूरपुर क्षेत्र प्रमुख है। एक तो मेघ लोगों पर बारिश की रहमत की फुहारें नहीं बरसा रहे, ऊपर से सिंचाई के लिए बने नलकूपों से भी सिंचाई की पर्याप्त सिंचाई सुविधाएं नहीं मिल पर रही है। इससे किसान व बागबान परेशान हैं।

 


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