‘चिडि़या के बहाने’ भ्रष्टाचार पर चोट

By: Jan 14th, 2018 12:05 am

कुल्लू—संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से एक्टिव मोनाल कल्चरल एसोसिएशन कुल्लू  द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग कुल्लू के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित किए जा रहे आठ दिवसीय नाट्योत्सव ‘कुल्लू रंग मेला’ की पांचवीं संध्या में संस्था के कलाकारों ने हास्य व्यंग्य से भरपूर नाटक ‘चिडि़या के बहाने’ का मंचन किया। केहर सिंह ठाकुर द्वारा लिखित व निर्देशित इस नाटक में चिडि़या को बहाना बनाकर हमारे देश में फैले भ्रष्ट तंत्र और हर आदमी की अपने स्वार्थ की सिद्धि वाली वृत्ति को हास्य व्यंग्य से उभारने की कोशिश की गई है। चिडि़या जो किसी बाहरी मुल्क से आई है एक-एक कर परत-दर-परत व्यवस्था में फैली अव्यवस्था और भ्रष्टाचार को उजागर करती जाती है। उसका मटर का दाना एक बढ़ई ठेकेदार द्वारा गुम किए जाने पर वह एक सिपाही से मदद मांगने जाती है। सिपाही उसे यह कहकर हड़का देता है कि दाना ढूंढना उसका काम नहीं है, उसका काम तो देश में कानून और शांति बनाए रखना है। उसके बाद वह थानेदार के पास जाती है तो थानेदार कहता है कि पुलिस का काम मटर का दाना ढूंढना नहीं है, मुझे तो मंत्री जी आ रहे हैं, उसकी व्यवस्था करनी है। यदि मंत्री जी को मेरी व्यवस्था पसंद नहीं आई तो मेरी तरक्की कैसे होगी। जब वह मंत्री जी के पास जाती है तो मंत्री जी कहते हैं कि राजा साहब आने वाले हैं मुझे ही सब कुछ देखना है। सब ठीक नहीं हुआ तो मेरे मंत्री पद पर गाज गिर सकती है। आखिर में राजा से हिम्मत करके वह गुहार लगाती है तो राजा कहता है ऐ घमंडी चिडि़या तेरी यह हिम्मत कि एक देश के राजा से तू एक मटर का दाना ढुंढवाएगी? तो चिडि़या समझ जाती है कि ऐसे काम नहीं चलेगा। यहां कोई किसी की मदद करके राजी नहीं है। इसके बाद अपने बुिद्ध कौशल से वह सब को झुका देती है और राजा, मंत्री और बाकी सब लोगों को वह अपनी सहायता करने को मजबूर करती है। इसके लिए वह इस्तेमाल करती है एक गरीब चींटी को जो प्रतीकात्मक रूप में एक गरीब मजदूर है। चिडि़या तथा चींटी के साथ एक तीसरा चरित्र भी प्रतीकात्मक है वह है राजा का घोड़ा। नाटक अंत में प्रश्न खड़ा करता है कि क्या आम आदमी हर समय राजा को मजबूर कर पाएगा और समाज में फैले इन सत्ता लोलूपों, धन लोलूपों और स्वार्थियों से अपने पेट का दाना छीन पाएगा? चिडि़या की भूमिका में आरती ठाकुर ने बेहतरीन अभिनय किया। जबकि जीवानंद, दीन दयाल, निखिल, आषा, कविता, सीता, अवंतिका, ममता, श्याम, रेवत राम विक्की, वैभव ठाकुर व विपुल आदि कलाकारों ने अपनी-अपनी भूमिकाओं को बेहतरीन अंजाम दिया। ध्वनि संचालन अनुराग का रहा, जबकि वस्त्र परिकल्पना तथा आलोक प्रबंध मीनाक्षी का रहा। संध्या में मुख्यातिथि के रूप में एलायंस अकादमी की प्रबंध निदेशक रहीं, जबकि विशेष अतिथि के रूप में राष्ट्रीय मानवाधिकार परिषद की उतरी भारत की इकाई के अध्यक्ष पीडी आजाद रहे।


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