जातिवाद की आग

By: Jan 5th, 2018 12:05 am

बलवंत पाठक (ई-मेल के मार्फत)

महाराष्ट्र के पुणे के भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह के दौरान उपजे तनाव ने महाराष्ट्र के कई शहरों को जातीय हिंसा में झुलसा दिया। पुलिस ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी के खिलाफ भड़काऊ बयान देने की शिकायत दर्ज की है। समाज के कुछ शरारती तत्त्वों के कारण देश को भारी मात्रा में जातीय हिंसा से नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में भड़काऊ बयान देने वाले बयान देकर बाजू हो जाते हैं और बाद में शांति बनाए रखने की अपील करते हैं। क्या ये लोग हिंसा में हुआ नुकसान वापस ला सकते हैं? जातिवादी विषय पर बोलने से देश का वातावरण तुरंत गरमा जाता है, यह बात हर व्यक्ति को पता है। इसी का समय देख कर गलत उपयोग करने वाले शांति के दुश्मनों से हमारे समाज को सचेत रहना चाहिए। भड़काऊ बयान देने वाले तत्त्वों से अंतर बनाए रखना ही देश की एकता के लिए जरूरी है।

 


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