जीत के जश्न में हार के कारण भूल गई भाजपा

By: Jan 14th, 2018 12:10 am

शिमला— जीत का जश्न मना रही भाजपा हार के उन कारणों की समीक्षा तक नहीं कर पा रही, जिसके चलते इसके कई दिग्गज लुढ़क गए। यहां तक कि कुछ सीटें ऐसी भी रहीं, जहां 500 या फिर 1000 के ही अंतर से भाजपा के वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए। नतीजों के बाद यह ऐलान हुआ था कि हार के कारणों की समीक्षा होगी। भितरघातियों को सबक सिखाया जाएगा, ताकि 2019 में दिक्कतें सामने न आएं, मगर हैरानी की बात है कि जिस पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष खुद चुनाव हार गया, वही दल अब चुनावी समीक्षा से भी तौबा करने लगा है। पार्टी नेताओं के मुताबिक चुनाव नतीजों के बाद से ही हारे हुए नेता इसकी मांग करते आ रहे हैं। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक यह मांग रखी गई, मगर किसी भी स्तर पर पार्टी में हार के कारणों की समीक्षा नहीं हो सकी। सबसे ज्यादा हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में पार्टी को धक्का पहुंचा है। यहां हमीरपुर जिला के साथ-साथ ऊना में भी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा है। अंदरखाते आरोप यहां तक लग रहे हैं कि पार्टी के अपने ही विभीषणों ने कई नेताओं को हराने का काम किया। मंडी में भी कमोबेश यही कारण गिनाए जा रहे हैं। यही वजह है कि यह मांग अब जोर पकड़ रही है कि इसकी समीक्षा क्यों नहीं की जा रही। बहरहाल, प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती जो आरएसएस व सरकार के साथ मिलकर 2019 का रोडमैप तैयार कर रहे हैं, हार के कारणों की भी समीक्षा करेंगे, ऐसी उम्मीद हारे हुए नेता लगाए बैठे हैं।

इनकी हार से सदमे में समर्थक

पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल, प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती, गुलाब सिंह ठाकुर, रविंद्र रवि, रणधीर शर्मा, महेश्वर सिंह, इंदू गोस्वामी व तेजवंत नेगी, जो मात्र 120 मतों से ही हारे।

भाजपा की राह पर चल रही कांग्रेस पार्टी

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पिछले विधानसभा चुनावों में हार के बाद इस बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। भाजपा के गढ़ कहे जाने वाले हमीरपुर में उन्होंने ऐसे में जीत हासिल की, जब भाजपा की आंधी चलने का हवाला दिया जा रहा था, मगर उनकी जीत के साथ ही कई दिग्गज चुनाव हार गए। कांग्रेस में आम चर्चा है कि पार्टी में अपनों ने ही अपनों को हराया। दिग्गजों की हार के यही कारण गिनाए जा रहे हैं। हालांकि राहुल गांधी ने शिमला पहुंच कर पार्टी की अंदरूनी सियासत पर नेताओं को फटकार भी लगाई थी। बावजूद इसके कसूरवार व भितरघातियों के खिलाफ कोई कारवाई न होने से हारे नेताओं में रोष है।

इनकी पराजय हरगिज नहीं पचा पा रहे समर्थक

दिग्गज नेताओं के समर्थक हार नहीं पचा पा रहे हैं। कांग्रेस में इस बार कौल सिंह ठाकुर, जीएस बाली, सुधीर शर्मा, ठाकुर सिंह भरमौरी, प्रकाश चौधरी, विप्लव ठाकुर, राजेश धर्माणी, कुलदीप सिंह पठानिया, राम कुमार, गंगूराम मुसाफिर, किरनेश जंग, हरभजन सिंह भज्जी, रोहित ठाकुर, डा. वीरू राम किशोर चुनाव हारे हैं।


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