तोगडि़या के एनकाउंटर की साजिश

By: Jan 17th, 2018 12:04 am

विश्व हिंदू परिषद नेता ने कहा, समय आने पर सबूत के साथ करेंगे खुलासा

अहमदाबाद— विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़यि ने सोमवार को लगभग दस घंटे तक उनकी रहस्यमय गुमशुदगी के बारे में मंगलवार को खुलासा करते हुए दावा किया कि वह फर्जी पुलिस मुठभेड़ में उनकी हत्या की आशंका से गुपचुप ढंग से हवाई अड्डे से राजस्थान जाने के लिए निकले थे और इस दौरान ही वह तबीयत बिगड़ने से बेहोश हो गए थे। श्री तोगडि़या ने यहां एक निजी अस्पताल में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कई बार भावुक भी हो गए और उनके आंसू निकलने लगे। उन्होंने कहा कि समय आने पर सबूत के साथ इस बात का खुलासा करेंगे कि कौन उनकी आवाज दबाने का और उन्हें जेल भेजने का लंबे समय से षड्यंत्र कर रहा है। उन्होंने इस बात पर हैरत जताई कि उनके खिलाफ राजस्थान पुलिस के वारंट की जानकारी वहां के मुख्यमंत्री अथवा गृहमंत्री को क्यों नहीं थी। श्री तोगड़यि के खिलाफ राजस्थान के सवाई माधोपुर जिला के गंगापुर शहर की एक अदालत ने लगभग एक दशक पुराने निषेधाज्ञा के उल्लंघन के एक मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जिसको लेकर वहां की पुलिस सोमवार को उनके आवास पर आई थी, पर उनके नहीं मिलने पर वह लौट गई थी। लगभग इसी समय दिन के पौने ग्यारह बजे से वह लापता हो गए थे। इसको लेकर विहिप ने खासा हंगामा किया था। पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उन्हें ढूंढने के लिए एक विशेष टीम गठित की थी। बाद में सोमवार रात नौ बजकर 20 मिनट पर वह बेहोश अवस्था में शहर के कोतरपुर इलाके से मिले और उन्हें शाहीबाग के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी रक्त शर्करा कम होने से वह बेहोश हुए थे। श्री तोगड़यि ने कहा कि उन्हें सोमवार सुबह एक कार्यकर्ता ने बताया कि गुजरात और राजस्थान पुलिस उनका एनकाउंटर कर सकती है। इसके बाद जब उन्हें पता चला कि पुलिस आ रही है तो वह अपनी जेड प्लस सुरक्षा के एक गार्ड को बता कर कार्यालय से एक कार्यकर्ता के साथ उनके घर पहुंचे। उन्होंने रास्ते में राजस्थान के गृह मंत्री और मुख्यमंत्री से पता कराया तो उन्हें उनके वारंट का पता नहीं था। इसके बाद उन्होंने अपने लोकेशन को छिपाने के लिए सभी फोन स्विच ऑफ कर दिए। बाद में उन्होंने अपने एक कार्यकर्ता के फोन से वकीलों से बात की। मुठभेड़ की आशंका और कानून के पालन के लिए वकीलों की सलाह पर उन्होंने गुपचुप राजस्थान के जयपुर जाकर अदालत में वारंट रद्द कराने अथवा समर्पण की योजना बनाई और अकेले ही ऑटो रिक्शा में बैठकर हवाई अड्डे के लिए निकले पर पसीना और चक्कर आने के चलते उन्होंने ऑटो रिक्शा से उन्हें बापूनगर के एक अस्पताल ले जाने को कहा और फिर बेहोश हो गए। इसके बाद जब उन्हें होश आया तो उन्होंने खुद को एक अन्य अस्पताल में पाया। विहिप नेता ने कहा कि उन्हें गुजरात अथवा राजस्थान पुलिस से कोई शिकायत नहीं, पर उन्हें राजनीतिक दबाव में काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने भावुक होते हुए उनकी गुमशुदगी के मामले की जांच कर रही अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच से उनके आवास की जांच नहीं करने की अपील की। उनकी आवाज को उच्च स्तर से दबाने का प्रयास हो रहा है। केंद्रीय गुप्तचर ब्यूरो ने उनकी ओर से गरीबों की सेवा के लिए देश भर में तैयार 10 हजार डाक्टरों को डराना शुरू किया है। मैंने इस बारे में केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा। यह भी हैरत की बात है कि अहमदाबाद में भी पिछले दिनों ंजब उनके खिलाफ वारंट निकला तो यहां के मुख्यमंत्री अथवा गृह मंत्री को इसकी जानकारी नहीं थी। उनके खिलाफ छोटे-छोटे वर्षों पुराने ऐसे मामले, जिनकी उन्हें याद भी नहीं है, में वारंट जारी किए जा रहे हैं। उन्हें डर नहीं है और वह राम मंदिर, हिंदुओं, युवाओं, किसानों आदि के बारे में आवाज उठाते रहेंगे। उन्होंने इस पूरे घटना क्रम को लेकर विहिप कार्यकर्ताओं से शांति बनाए रखने की अपील की। डाक्टरों की इजाजत मिलने पर वह राजस्थान की अदालत में पेश होंगे। ज्ञातव्य है गत पांच जनवरी को यहां 21 साल पुराने एक मामले में अपने खिलाफ जारी वारंट को रद्द कराने के लिए अदालत में पेशी के बाद भी उन्होंने इसे उनकी आवाज दबाने का षड्यंत्र करार दिया था।


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