दाखिले की लूट

By: Jan 17th, 2018 12:05 am

राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा

जनवरी के आरंभ होते ही विद्यालयों, खास तौर पर निजी विद्यालयों में बच्चों के दाखिले को लेकर प्रचार जोर-शोर से शुरू हो जाता है। ये स्कूल पहले से इनमें पढ़ रहे विद्यार्थियों की भी री-एडमिशन करते हैं। देश-प्रदेश के सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा देखते हुए लोग अपने बच्चों की अच्छी और आधुनिक शिक्षा के लिए निजी विद्यालयों का रुख करते हैं। निजी विद्यालय अपने यहां शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को हर सुविधा देने की कोशिश करते हैं, लेकिन ये विद्यालय प्रबंधन के खर्च सहित अध्यापकों का वेतन भी विद्यार्थियों की जमा फीस से ही एकत्रित करते हैं। इसी फीस में इन स्कूलों का लाभ भी शामिल होता है। इसी कारण निजी स्कूलों को साल-दर-साल फीस में वृद्धि करनी पड़ती है। सरकारों की तरफ से इनकी कोई वित्तीय मदद नहीं की जाती। इन स्कूलों को भी चाहिए कि ये अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों के मां-बाप पर बेवजह का आर्थिक बोझ न डालें। री-एडमिशन के नाम पर जायज फीस ही वसूलें, ताकि प्रदेश सरकार को इस लूट-खसोट पर नियंत्रण हेतु किसी तरह के सख्त कदम उठाने की जरूरत न पड़े और न ही लोगों को अपनी जेब री-एडमिशन के वक्त ढीली करनी पड़े। प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह उन सरकारी बाबुओं पर भी कड़ी नजर रखे, जो सरकार की नीतियों का गलत फायदा उठाते हुए अपने स्वार्थों को साधने के लिए स्कूल प्रशासन को परेशान करते हैं।

 


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