नेता जी! सोचो…अब तो कुछ करो

By: Jan 26th, 2018 12:05 am

जिला चंबा को पिछड़े जिला में 114वां स्थान मिलने से प्रदेश के राजनेताओं द्वारा अब तक किए प्रयासों को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। प्राचीनकाल में विकसित रहे इस जिला को आखिर इस पायदान तक पहुंचाने में क्या-क्या कारण रहे हैं आइए पढ़ें क्षेत्र के बुद्धिजीवियों के विचार ‘दिव्य हिमाचल’ जिला संवाददाता हामिद खान की कलम से…

संसाधनों को नहीं हो पाया दोहन

वरिष्ठ अधिवक्ता मदन रावत के अनुसार चंबा को पिछड़ा कहना उचित नहीं है। सभी प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर जिला पिछड़ा नहीं, बल्कि अविकिसत है।  जिला में हर प्राकृतिक संसाधन मौजूद है, जरूरत है इनका दोहन करने की। सरकारों को चहिए कि अब  जिला के इस कलंक को मिटाने हेतु आगे आना चाहिए, जिसमें आम लोगों की भागीदारी रहे। अब जबकि केंद्र सरकार ने इसे पिछड़ा घोषित किया है। अब प्रदेश ओर केंद्र की सरकारें क्या करती हैं, यह देखना होगा।

विकास में ध्यान देते तो नहीं मिलता यह तगमा

सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी शौकत अली का कहना है कि जिस जिला ने देश को जलविद्युत परियोजनाओं के जरिए रोशन किया, वह स्वयं अंधेरे में धक्के खा रहा है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर जिला में अगर इन्हीं संसाधनों के दोहन के बाद मिलने वाली रायलटी का कुछ अंश भी अगर जिला के विकास में लगाया जाता तो आज जिला पिछड़ेपन के कलंक का दंश न झेलता। राजनेताओं ने विकास की आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति की ओर अधिक ध्यान दिया, जिससे जिला बैकफुट पर खिसकता गया।

धरातल पर लागू की जाएं योजनाएं

अधिवक्ता संजीव शर्मा के अनुसार यदि सही मायने में माना जाए तो चंबा जिला पिछड़े जिलों में शामिल नहीं होना चाहिए। जिला में हर प्राकृतिक संसाधन मौजूद है, जरूरत है इन्हें दोहन करने की। अगर सही ढंग से इन संसाधनों का दोहन होता है तो जिला प्रदेश के विकास के दौर में सबसे आगे रहेगा। सरकार एवं राजनेताओं के लिए अब यह चैलेंज होगा कि वे जिला को पिछड़ेपन से विकसित कैसे बनाएंगे, जिसके लिए पायलट प्रोजेक्ट पर कार्य करना होगा।

राजनेताओं में इच्छाशक्ति का अभाव

सुनील कुमार के अनुसार चंबा जिला प्रदेश के 115 पिछड़े जिलों में 114 वें नंबर पर है आखिर चंबा से विकास क्यों रूठा इसकी वजह तलाशनी होगी।  जिला को पिछड़ा घोषित करने भर से कुछ  नहीं होने वाला। राजनेताओं में इच्छाशक्ति के अभाव के कारण ही जिलावासियों को यह देखना पड़ रहा है। जो शर्म की बात है। उन्होंने कहा कि भले ही जिला को पिछड़ा घोषित होने से यहां पर विकास रफ्तार पकड़ेगा, लेकिन चंबावासियों एवं राजनेताओं के लिए यह एक धब्बा है।

पिछड़ा शब्द गर्व नहीं शर्म की बात

चंदन शर्मा के अनुसार जिला को पिछड़ा घोषित करना चंबा वासियों के लिए गर्व नहीं शर्म का विषय है। इससे साफ जाहिर होता है कि जिला के राजनीतिज्ञों की कहीं न कहीं कमी रही है, जिस कारण जिलावासियों को पिछड़ेपन का यह दंश झेलना पड़ रहा है।  फलों एवं सब्जियों को उचित दाम न मिल पाने एवं उन्हें मंडियों तक ले जाने के  लिए उचित व्यवस्था न होने से मेहनती जिला पिछडे़पन को चौला पहन बैठा।

नेताओं को बढ़ाने होंगे कदम

न जाने कब जिला के माथे से पिछड़ेपन का यह कलंक मिटेगा यह कहना है चंबा के व्यवसायी अभिनंदन शर्मा का उनके अनुसार रियासती काल में जिला प्रदेशभर में संपन्न था। देश में दूसरा ऐसा कस्बा था जहां बिजली लाई गई। मगर आजादी के बाद चंबा का उत्थान तो क्या हुआ लगातार बैकफुट पर आता गया। यहां के सियासदानों को चहिए कि वे अपनी राजनीतिक इच्छाओं का बलिदान कर चंबा के इस कलंक को हठाने में आगे आएं।


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