पद्मावत न बने मुसीबत

By: Jan 24th, 2018 12:05 am

राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा

अगर फिल्मों की पाबंदी के विरोध को कुछ लोग अभिव्यक्ति की आजादी का हनन मानते हैं, तो उन लोगों को यह भी पता होना चाहिए कि अगर उस फिल्म से किसी की भावनाओं को ठेस लगे तो उसका विरोध करना भी अभिव्यक्ति की आजादी के अंतर्गत आता है। विवादित फिल्म पद्मावत को सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में रिलीज करने की अनुमति तो दे दी है, लेकिन इस फिल्म के रिलीज से कोई विवाद चिंगारी न भड़क पाए इसका ख्याल प्रशासन और सरकार को गंभीरता से रखना होगा। जब सबको पता है कि यह पद्मावत विवादित फिल्म है, तो इसे रिलीज करने में इतना उतावलापन और जल्दबाजी क्यों? फिल्म को सबसे पहले करणी सेना और अन्य विरोध करने वालों को दिखाने में फिल्म निर्माता को आखिर हर्ज ही क्या है? शायद इससे ही मसला कुछ हल हो जाता। फिल्म की रिलीज को लेकर विरोध के स्वर बढ़ते ही जा रहे हैं। फिल्म रिलीज होने से पहले ही देश के कुछ राज्यों में माहौल फिल्म पर आपत्ति करने वालों ने गर्म कर दिया। माहौल को शांत करने में सरकार और प्रशासन नाकामयाब हो रहे हैं। अब सवाल यह खड़ा होता है कि जब फिल्म किसी के लिए मुसीबत न बने, उसके लिए सरकार और प्रशासन पुख्ता इंतजाम कर पाएंगे? फिल्म का विरोध करने वालों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोई शरारती तत्त्व उनके विरोध का गलत फायदा न उठा पाए और विरोध का आमजन को भी कोई मुसीबत पैदा न हो। इस फिल्म पर ओछी राजनीति तिल का ताड़ बना सकती है। फिल्म के विरोध में राजपूत महिलाओं का सरकार से जौहर की मांग करना सत्ताधारियों, न्यायालयों और कानून के रखवालों के लिए निंदनीय और शर्मनाक है।

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App