पूर्व सैनिकों के हित में

By: Jan 22nd, 2018 12:05 am

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के साथ-साथ वीरभूमि होने का गौरव प्राप्त है। राष्ट्र की हिफाजत में दिए जाने वाले योगदान के दृष्टिगत हिमाचल की लगभग सभी सरकारें सेवारत, पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के कल्याण के प्रति वचनबद्ध रहती आई हैं। यही वजह है कि हिमाचल प्रदेश की नवनिर्वाचित भाजपा सरकार के मुखिया जयराम ठाकुर मंत्रिमंडल ने चार जनवरी, 2018 को कैबिनेट बैठक में पुनः रोजगार प्राप्त भूतपूर्व सैनिकों को सरकारी नौकरियों में मिलने वाले वित्तीय लाभों को बहाल करने का सराहनीय फैसला किया है। यहां यह बात भी गौरतलब है कि पिछली कांग्रेस सरकार ने 18 अगस्त, 2017 को पूर्व सैनिकों को सरकारी सेवा में  मिलने वाले वरिष्ठता लाभ को उच्चतम न्यायालय द्वारा निरस्त करने संबंधी अपना फैसला सुनाने से पहले ही पांच अगस्त, 2017 को ही पिछले दरवाजे से डिमोबिलाइज्ड आर्म्ड फोर्सेस एक्ट गैर तकनीकी सेवा में रिक्तियों के आरक्षण नियम 1972 के नियमों और तकनीकी सेवा 1985 के नियमों को बदल दिया था और फिर चुनावों के दौरान पुनः रोजगार प्राप्त सैनिकों को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का झांसा दिया था।

अब मुख्यमंत्री जयराम सरकार ने इस निर्णय की पुनः समीक्षा कर कैबिनेट बैठक में पूर्व सैनिकों को पुनः रोजगार लगने पर मिलने वाले आर्थिक लाभों को बहाल कर सेवारत और सेवानिवृत्त फौजियों की हितैषी सरकार होने का स्पष्ट संदेश दिया है। तपोवन विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री का अभिनंदन तथा आभार व्यक्त करने बड़ी संख्या में आए पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए जयराम ठाकुर ने देश की रक्षा में सर्वाधिक योगदान देने के लिए सैनिकों की मुक्तकंठ से सराहना की और याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सैनिकों एवं पूर्व सैनिकों की मदद करने का जब कभी भी मौका मिलता है, वह दिल खोलकर उनकी मदद करते हैं और वन रैंक, वन पेंशन योजना को लागू करना इसका जीता जागता सबूत है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने पूर्व सैनिकों को आश्वस्त किया कि वे सैनिकों के साथ थोड़े वक्त के लिए नहीं, बल्कि लंबे समय तक साथी बने रहेंगे और उनकी सरकार पूर्व सैनिकों तथा उनके आश्रितों के हितों की भरपूर रक्षा करती रहेगी। ऐसे समय में जब राज्य सरकार पुनः रोजगार प्राप्त पूर्व सैनिकों के सम्मान एवं कल्याण हेतु उनके पक्ष में खड़ी नजर आती है, तो वहीं सरकार के इस फैसले के विरोध में शिक्षा विभाग के कुछ संगठनों के मुट्ठी भर लोग सोशल मीडिया तथा समाचारपत्रों में पूर्व सैनिकों को मिलने वाले आर्थिक लाभों के विरोध में सरकार को धमकाने और घेराव करने धमकियां देने पर भी उतर आए हैं। कुछ तथाकथित कर्मचारी नेता तो अपने-अपने संगठनों में अपनी लीडरी चमकाने के लिए सोशल मीडिया पर भूतपूर्व सैनिकों पर अनाप-शनाप तंज कस कर माहौल को बिगाड़ने पर भी तुले हुए हैं, जो कि निंदनीय है। सरकार ने केवल पुनः रोजगार प्राप्त सैनिकों को पहले से मिलने वाले वित्तीय लाभों को बहाल करने की बात मानी है, न कि सेवा में वरिष्ठता देने की। राज्य सरकार के इस फैसले से दूसरे शिक्षकों को कोई आर्थिक नुकसान भी होता नजर नहीं आ रहा है। लिहाजा यह कहां तक तर्कसंगत कहा जाएगा कि आप निर्धारित प्रक्रिया का पालन कर पुनः रोजगार पर लगे पूर्व सैनिकों के आर्थिक लाभों के सरकार के फैसले पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दें। अमूमन  हिमाचल प्रदेश के सभी विभागों में पूर्व सैनिक सेवारत हैं, लेकिन शिक्षा विभाग के अध्यापकों को ही सरकार के इस फैसले पर आपत्ति क्यों है, यह बात समझ से परे है।

आज हमारे सैनिक जिन खतरनाक हालात में राष्ट्रहित में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उनके बलिदान और त्याग के जीवंत चित्र टीवी एवं समाचार-पत्रों में आए दिन छपते रहते हैं, वे किसी से छिपा हुआ नहीं है। महीनों बेहद खतरनाक परिस्थितियों में अपने परिवारों से दूर रहकर उफ तक नहीं करने वाले सेवारत सैनिकों को और हमारी भावी पीढि़यों को आखिर हमारे साथी शिक्षक क्या संदेश देना चाहते हैं कि भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारी देशभक्ति? क्या हमारा शिक्षक समाज इतना स्वार्थी हो गया है कि अपने ही फौजी भाइयों को मिलने वाले आर्थिक फायदों को पचा नहीं पा रहा है? आप क्यों यह भूल जाते हैं कि हमारे फौजी भाइयों को महीनों सीमा पर तैनाती के दौरान छुट्टी नहीं मिलती है? उनके बूढ़े मां-बाप घरों की रखवाली करते मिल जाएंगे, तो वहीं अपने छोटे बच्चों का भविष्य संवारने की जद्दोजहद में उनकी बीवियां शहरों में किराए के मकानों में अलग रहने के लिए विवश हैं।

भारतीय सेना के जवान देश की सरहदों की निगहबानी के लिए अपनी जवानी, जीवन की खुशियां और अपना घर-परिवार त्यागकर बिना किसी दुख की परवाह किए निरंतर चौकस खड़े रहते हैं। हमारे सैनिकों के इसी जोश, जज्बे, पराक्रम और शौर्य को देखने के लिए रोजाना हजारों भारतीय वाघा बार्डर अटारी पहुंचते हैं। शायद इसीलिए कहा जाता है कि भारतीय सैनिक लड़ता इसलिए नहीं कि वह अपने सामने वाले से नफरत करता है, बल्कि इसलिए क्योंकि वह अपने पीछे वालों से प्यार करता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App