प्रदेश की घर द्वार शिक्षा

By: Jan 23rd, 2018 12:05 am

शगुन हंस, योल

हिमाचल में मुख्यमंत्री नए बन गए, शिक्षा मंत्री नए बन गए, पर शिक्षा का ढर्रा वही पुराना। नगरोटा बगवां की बूहली मझेटली पाठशाला को पिता-पुत्र ही चला रहे हैं। उस पाठशाला में एक भी छात्र नहीं था, तो अध्यापक पिता ने अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल से हटाकर उसे सरकारी स्कूल में डाल दिया। पिछली सरकार ने कुकुरमुत्तों की तरह स्कूल खोल दिए, तो हालात ऐसे बनने ही थे। दोनों में से एक बात जरूर है या तो वह अध्यापक स्कूल बचाना चाहता है या फिर अपनी पोस्टिंग कहीं दूर होने से बचता होगा। एक बच्चे के लिए एक अध्यापक और एक मिड-डे मील वर्कर। क्या यही है सरकार की घर द्वार शिक्षा। इससे तो अच्छा है वह बच्चा घर में ही पिता से पढ़ ले और अध्यापक पिता सरकार से तनख्वाह लेता रहे। सरकार का महीना तो धन्यवाद, आभार में ही चला गया। बदला तो बस यही कि सरकार ने पहले ही महीने 500 करोड़ का और ऋण लेने की योजना बना ली। कर्मचारियों को तीन फीसदी डीए की घोषणा कर वाहवाही तो करवा ली, पर कर्ज लेकर घी पीना शुरू कर दिया है सरकार ने। ऐसे में किसे फिक्र कि शिक्षा किस ढर्रे पर चल रही है। सरकार जरा इस ओर ध्यान दे तो बात बने। कब तक एक-एक बच्चे को बिठाकर उसे स्कूल का नाम देती रहेगी सरकार।

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App