फोर्टिस कांगड़ा में प्री-मेच्योर बेबी को सांसें
कांगड़ा— फोर्टिस कांगड़ा में प्री-मेच्योर डिलीवरी के तहत पैदा हुए बच्चे को संजीवनी मिल गई। लगभग आठ माह की गर्भावस्था में पैदा हुए इस नवजात की सांसें करीब-करीब थम चुकी थीं। परिजनों ने भी बच्चे की उखड़ी सांसों को देखते हुए इसे मृत मान लिया, लेकिन फोर्टिस कांगड़ा के नवजात एवं बाल रोग विभाग के स्पेशलिस्ट डा. हिमाद्री राय व डा. आलोक यादव ने इस बच्चे को अपने विभाग में दाखिल किया। लगभग पांच मिनट तक उसे सीपीआर दिया गया, जिसमें करिश्माई तरीके से बच्चे की सांस एवं धड़कन भी चल पड़ी। चिकित्सकों ने तुरंत ही बच्चे को सी-पैप (सांस की मशीन) पर ले लिया। चिकित्सकों के सामने बच्चे की सांसों को गतिशील करना अभी भी चुनौती थी, जिसमें मुख्य रूप उसे इन्फेक्शन बहुत ज्यादा था। हृदय गति भी कम थी। इसके अलावा समय से पहले डिलीवरी के कारण बच्चे का वजन भी एक किलोग्राम के लगभग था। इन सभी दिक्कतों के अलावा बच्चे को एक सप्ताह तक सी-पैप पर रखा गया। धीरे-धीरे बच्चे की धड़कन सामान्य होने लगी व इन्फेक्शन भी कम होने लगा। बाल रोग विशेषज्ञ डा. हिमाद्री राय ने बताया कि समय से पहले डिलीवरी के कारण बच्चे में यह दिक्कतें चल रही थीं, जिसे एक माह तक अस्पताल के एनआईसीयू (नियोनिटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में रखा गया। इसके पश्चात बच्चा सामान्य होने लगा और उसे अस्पताल से घर भेज दिया गया। डा. हिमाद्री राय ने कहा कि फोर्टिस कांगड़ा का अत्याधुनिक एनआईसीयू प्री-मेच्योर बेबी बर्थ एवं कम वजन वाले बच्चों की देखरेख के लिए सुविधा संपन्न है। उन्होंने कहा कि फोर्टिस एनआईसीयू में क्रिटिकल बच्चों के उपचार की सफलता करीब 90 फीसदी रही है। साथ ही यह अस्पताल 28 हफ्तों की डिलीवरी व 900 ग्राम तक के वजन वाले बच्चों की जीवनरक्षा कर परिजनों को मां-बाप बनने का सुख दे चुका है।
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