बचपन से ही सिखाया जाए कत्थक

By: Jan 21st, 2018 12:05 am

नादौन  — कत्थक नृत्य भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है, जिसे गुरु-शिष्य परंपरा से सीखने का अपना ही आनंद है। यह कहना है प्रदेश की प्रसिद्ध एवं उभरती हुई कत्थक नृत्यांगना वंदना शर्मा का। नादौन के विभिन्न स्कूलों तथा सारेगामा संगीत अकादमी में बच्चों को रोजाना इस नृत्य की ओर आकर्षित करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन कर रही शर्मा का लक्ष्य है कि बचपन में ही भारतीय संस्कृति से जुड़ी इस कला के बारे बच्चों को जागरूक तथा प्रेरित किया जाना चाहिए, ताकि इस परंपरा को नई पीढ़ी में भी जीवित रखा जा सके। इस कार्य में सारेगामा संगीत अकादमी के निदेशक एवं प्रसिद्ध तबला वादक अजय डोगरा तथा प्रसिद्ध तबला वादक चिन्मय डोगरा का उन्हें भरपूर सहयोग मिल रहा है। ‘दिव्य हिमाचल’ के साथ विशेष भेंट में वंदना शर्मा ने बताया कि बचपन में ही उन्हें नृत्य का शौक था, परंतु उस अवस्था में उचित अवसर न मिलने के कारण वह नृत्य नहीं सीख सकीं, परंतु जब उनका दाखिला आरकेएमवी कालेज शिमला में हुआ, तो उन्हें देश की प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना मैडम इला पांडे की शिमला स्थित थिरकन नृत्यशाला का पता चला और तब से ही वह पांडे जी से कत्थक सीख रही हैं। शर्मा ने बताया कि मैडम इला पांडे 70 वर्ष की आयु में भी नृत्य करती हैं और शिष्यों को सिखाती हैं।  इसी के तहत मोनाल पब्लिक स्कूल नादौन में शनिवार को कत्थक नृत्य पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। वंदना शर्मा ने बच्चों को तीन ताल में नृत्य की बारीकियां सिखाने का प्रयास किया।   इस अवसर पर सारेगामा संगीत अकादमी के निदेशक अजय डोगरा, प्रसिद्ध तबला वादक चिन्मय डोगरा, स्कूल की उपप्रधानाचार्या सीमा सोनी सहित स्टाफ के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।


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