मंजिल नहीं…बस सफर ही है पत्रकारिता

By: Jan 20th, 2018 12:05 am

अपनी प्रखर लेखनी से सरकार की चूलें हिला देने वाला पत्रकार समाज को आईना दिखाकर सच से रू-ब-रू करवाता है। सरकार और आवाम के बीच की इस कड़ी को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ यूं ही नहीं कहते। यह वह सेतू है जो देश और समाज की तरक्की की दिशा और दशा तय करता है। पर क्या बदलते परिवेश और दबाव के बीच पत्रकार कहीं सरकार का ही तो होकर नहीं रह गया है? पत्रकारों की कहानी पत्रकारों की जुबानी आपके सामने ला रहा है प्रदेश का अग्रणी मीडिया ग्रुप दिव्य हिमाचल

-हमीरपुर से मंगलेश कुमार की रपट

पत्रकारिता की मंजिल क्या है

पत्रकारों की मंजिल कभी न खत्म होने वाला ऐसा सफर है। जो लोगों के जनहित मुद्दों को सरकार के समक्ष उठाता रहेगा। सरकार में जब तक सांस है तब तक पत्रकार लोगों की समस्याओं को सरकार के समक्ष उजागर करता रहेगा।

जनहित से जुड़े किसी भी मुद्दे को अंजाम तक पहुंचना ही पत्रकारिता की मंजिल कही जा सकती है। हरेक जर्नलिस्टर का दायित्व है कि निष्पक्ष होकर पत्राकारिता करे। मीडिया को राष्ट्र का चौथे स्तंभ का दर्जा प्राप्त है। अपनी पत्रकारिता को सही दिशा में ले जाकर लोकहित के लिए प्रयोग करना ही पत्रकार की मंजिल है।

आम जनमानस की आवाज सरकार व प्रशासन तक बुलंद तरीके से पहुंचाना व उनकी समस्याओं का समाधान ही पत्रकारिता की मंजिल है। पत्रकारिता को एक नोबल प्रोफेशन माना जाता है। इसलिए एक पत्रकार समाज में आम लोगों के बीच रहकर उनकी आवाज की धार को तेज करता है।

पत्रकार और सरकार के रिश्तों को आप क्या मानते हैं?

पत्रकार और सरकार के बीच हमेशा विरोधाभास रहेगा। पत्रकार जनहित मुद्दों को सरकार के समक्ष पेश करेगा, लेकिन सरकार मुद्दों का साकारात्मक हल नहीं करेगी, तो दोनों के बीच रिश्ते सोहार्दपूर्ण नहीं हो सकेंगे। क्योंकि पत्रकार सरकार को उनका आइना दिखाने का कार्य करता है।

पत्रकार और सरकार दोंनों ही जनता से सीधे तौर पर जुडे़ हैं। सरकार लोगों को सुविधाएं प्रदान कर रही है। वहीं, पत्रकार लोगों की समस्याओं को उठाकर सरकार को सचेत करता है, ताकि लोगों की समस्या का समाधान हो। अगर सरकार गलत कर रही है तो भी पत्रकार अपनी कलम के माध्यम से इस बात को सार्वजनिक करता है।

एक पत्रकार सरकार व आम लोगों के बीच एक कड़ी की तरह काम करता है। पत्रकार के माध्यम से सरकार व् प्रशाशन की उपलब्धियां व उनकी कमजोरियां जनता तक पहुंचती हैं। हालांकि कई बार सरकार की आलोचना के कारण पत्रकारों पर सत्तापक्ष की तरफ से आरोप-प्रत्यारोप भी लगाए जाते हैं, लेकिन फिर भी पत्रकारिता के बिना लोकतंत्र को अधूरा माना जाता है।

किसी भी पत्रकार की सबसे बड़ी उपलब्धि

पत्रकार द्वारा उठाए गए मुद्दों को सरकार गंभीरता से उठाए, ताकि जनहित को भी इसका लाभ मिल सके। पत्रकारिता में निष्पक्षता से काम किया जाए, इसमें कोई भी रोक-टोक नहीं होनी चाहिए।

जनहित से जुड़े मुद्दे को उसके अंजाम तक पहुंचाना ही एक पत्रकार की सबसे बड़ी उपलब्ध मानी जाती है। जर्नलिस्ट का दायित्य है कि जनता से जुड़े किसी भी बात का प्रमुखता से उठाए। लोगों के हितों के लिए तब तक अवाज उठानी चाहिए, जब तक समस्या हल नहीं हो जाती।

अगर एक पत्रकार के प्रयास से समाज या प्रशासन  में किसी भी प्रकार का सकारात्मक बदलाव होता है तो उसे पत्रकार की सबसे बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है। हालांकि कई बार पत्रकारों को आम समस्या उठाते हुए खुद को लोगों के विरोध का सामना भी करना पड़ता है।


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