मंजिल नहीं…बस सफर ही है पत्रकारिता

By: Jan 22nd, 2018 12:05 am

अपनी प्रखर लेखनी से सरकार की चूलें हिला देने वाला पत्रकार समाज को आईना दिखाकर सच से रू-ब-रू करवाता है। सरकार और आवाम के बीच की इस कड़ी को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ यूं ही नहीं कहते। यह वह सेतु है जो देश और समाज की तरक्की की दिशा और दशा तय करता है। पर क्या बदलते परिवेश और दबाव के बीच पत्रकार कहीं सरकार का ही तो होकर नहीं रह गया है? पत्रकारों की कहानी पत्रकारों की जुबानी आपके सामने ला रहा है प्रदेश का अग्रणी  मीडिया ग्रुप ‘दिव्य  हिमाचल’                                                    नाहन से  रमेश पहाडि़या

पत्रकारिता की मंजिल क्या है ?

पीटीआई, दैनिक ट्रिब्यून व सिरमौर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष एसआर पुंडीर ने कहा कि पत्रकार की मंजिल कभी भी खत्म न होने वाला सफर है। समाज के प्रति कार्य करना ही पत्रकार की सही मंजिल है।

पंजाब केसरी के ब्यूरो प्रभारी अरुण साथी का कहना है कि जनता के हित के लिए जो भी कार्य किए जाते हैं वे पत्रकारिता की मंजिल है। कोई भी कार्य जो जनहित के लिए किया जाए वह पत्रकारिता की मंजिल है। समाजसेवा को ही पत्रकार की मंजिल कहा जा सकता है।

न्यूज 18 के पत्रकार सतीश शर्मा ने कहा कि भारत के संविधान के दायरे में रहकर व सच्ची निष्ठा से कार्य करना पत्रकारिता की मंजिल है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के द्वारा उठाए गए मुद्दों को सरकार भी गंभीरता से लेती है, जिसका सीधा फायदा आम लोगों को मिलता है।

पत्रकार और सरकार के रिश्तों को आप क्या मानते हैं ?

उन्होंने कहा कि सरकार व पत्रकारों के बीच एक अटूट संबंध है। यह सरकार के लिए सेतु का कार्य करती है। इसके साथ ही सरकार को अपनी किसी भी योजना को लोगों तक पहुंचाने के लिए पत्रकारों का ही सहारा लेना पड़ता है।

अरुण साथी का कहना है कि सरकार व पत्रकार एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। यदि सरकार द्वारा लिए गए फैसले जनता के हित में न हों तो पत्रकार को अपनी कलम के माध्यम से इस बात को सार्वजानिक करना चाहिए। सरकार और पत्रकार के बीच  मधुर तालमेल होना अनिवार्य है।

सतीश शर्मा ने कहा कि एक पत्रकार सरकार व आम लोगों के बीच एक कड़ी की तरह कार्य करता है। सरकार और पत्रकार के बीच एक गहरा संबंध है। सरकार की योजनाआें, नीतियों व योजनाआें सहित खामियों को जनता के बीच पहुंचाने में पत्रकार की अहम भूमिका रहती है।

किसी भी पत्रकार की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है ?

एसआर पुंडीर ने कहा कि वह अपने जीवन में लोगों की समस्याओं खासकर गांव के मुद्दे को लेकर हमेशा आगे रहे हैं, जो कि उनके जीवन की उपलब्धि है, लेकिन इसके लिए पत्रकार को कई परेशानियों से भी गुजरना पड़ सकता है।

पत्रकारिता की उपलब्धि के बारे में उन्होंने बताया कि जो भी क ोई ईमानदारी से कार्य करता है वह उसके जीवन की उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि सभी पत्रकारों को आजीवन बेदाग छवि व ईमानदारी से कार्य करना चाहिए यही उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।

उन्होंने कहा कि जनकल्याण के हित में किए कार्य को वह अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं।  इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर एक पत्रकार चाहे, तो वह अपनी सकारात्मक सोच से समाज में भी बदलाव ला सकता है और यही एक पत्रकार की मंजिल है।


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