मलाणा के प्रमुख देवता का नाम है जामलू

By: Jan 3rd, 2018 12:05 am

कई लोगों का विचार है कि जब सिकंदर महान (326ई.पू.) ब्यास नदी के किनारे से वापस लौटा, तो उनमें से छह यूनानी सैनिक वापस जाने की बजाय सुरक्षित स्थान मलाणा में बस गए और मलाणा निवासी उनकी संतान हैं। कई लोग जामलू देवता को जमदग्नि ऋषि का रूप मानते हैं…

हिमाचल में धर्म और पूजा पद्धति

महासू देवता की पूजा (पुराने महासू अब शिमला जिला मेें) ः महासू (महाशिव) का विकृत रूप प्रतीत होता है। स्थानीय महासू देवता एक देवता न होकर भोंटू, पब्बर, वाशिक और चालडू नामक चार भ्राता देवों का समूह है। इनमें पहले तीन के मध्य क्षेत्र बंटे हुए हैं, जबकि चालडू का सारा ही क्षेत्र है और वह कहीं भी आ-जा सकता है। महासू देवता की उत्पत्ति के बारे में भी कई लोक गाथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से मुख्य प्रचलित लोक गाथा इस प्रकार है कि टौंस और पब्बर नदियों के मध्य किरमिट नाम का दैत्य था, जो बारी-बारी से लोगों को बुलाकर खाता था। मदराट गांव का ऊना नामक भाट था, जिसके सात लड़कों में से छह को दैत्य ने खा लिया था। अब सातवें की बारी थी। उसकी पत्नी ने ऊना को कहा कि कश्मीर में जाकर महासू देवता से अपने दुख में रक्षा की प्रार्थना करें। ऊना भाट कमजोर था, परंतु पत्नी के कहने पर वह पहाड़ी चढ़ने लगा तो उसमें स्फूर्ति आ गई। वह एकदम कश्मीर पहुंचा। वहां वह चेकुरिया वजीर के माध्यम से महासू देवता से मिला। देवता ने उसे आने वाले रविवार से अगले रविवार को चांदी का हल और सोने का फालू बनाकर खेत जोतने की सलाह दी। ऊना भाट अचेतन होकर एकदम अपने गांव पहुंच गया। उसने एक रविवार पहले ही बताए गए तरीके से खेत को बीजना शुरू कर दिया। पहले फेरे से भोंटू, दूसरे से पब्बर, तीसरे से वाशिक और चौथे से चालडू देवता प्रकट हुए, जिन्हें मिलकर महासू देवता की संज्ञा दी गई। पांचवें फेरे में से उनकी माता प्रकट हुई। चेकुरिया वजीर भी अपने साथियों कपिता, कैलु तथा कैलटु के साथ आ गया। सारे क्षेत्र में देव सेना फैल गई और ढाडी के निवारा नामक स्थान पर देवताओं ने दैत्य के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। क्योंकि हल पहले चला दिया गया था, उससे पहले देवताओं को चोट लग गई थी, अतः उनके स्थान निश्चित कर दिए गए। चालडू ठीक था, उसे चलने-फिरने की छूट थी। ये देव समूह शिव का ही रूप माने जाते हैं। इनके मध्य हिमाचली क्षेत्र में कई मंदिर हैं।

जामलू पूजा (मलाणा कुल्लू) : कुल्लू में मलाणा नामक स्थान है, जहां अभी भी देवता का ही शासन चलता है और इस देवता का नाम जामलू देवता है। जामलू देवता के बारे में कई लोक गाथाएं प्रचलित हैं और मलाणा निवासियों के बारे में भी। कई लोगों का विचार है कि जब सिकंदर महान (326ई.पू.) ब्यास नदी के किनारे से वापस लौटा, तो उनमें से छह यूनानी सैनिक वापस जाने की बजाय सुरक्षित स्थान मलाणा में बस गए और मलाणा निवासी उनकी संतान हैं। कई लोग जामलू देवता को जमदग्नि ऋषि का रूप मानते हैं। मलाणा निवासियों को कई किन्नरों की संतान भी मानते हैं। लोक गाथा प्रचलित है कि एक साधु मलाणा के जामलू देवता के कोष से पैसे ले गया और दिल्ली चला गया। अकबर के कर्मचारियों ने दो पैसे चुंगी के रूप में साधु से ले लिए। जब ये पैसे अकबर के खजाने में पहुंचे, तो उसे कुष्ठ रोग हो गया।


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