मुलाकात के बहाने पाक की खुराफात

By: Jan 1st, 2018 12:10 am

कुलदीप नैयर

लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं

अंतरराष्ट्रीय संगठनों समेत कई लोगों के 21 माह के प्रयास के बाद जाधव को अपने परिजनों से मिलने की इजाजत दी गई। लेकिन पाकिस्तानी नौकरशाही ने इसे नकारात्मक ढंग से देखा और लिया। किसी के दिमाग में यह खुराफाती विचार आ गया कि बैठक के दौरान जाधव व उनके परिजनों के बीच शीशे की दीवार खड़ी कर दी गई। भारतीय विवाहित महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले मंगलसूत्र, बिंदी और चूडि़यों तक को जाधव की पत्नी के अंगों से उतरवा दिया गया। इसके कारण कौन सा लक्ष्य हासिल हुआ, यह किसी की भी समझ से परे है…

भारत और पाकिस्तान के बीच बात बनती दिख नहीं रही है। पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव की अपनी माता व पत्नी से भेंट एक ऐसा अवसर हो सकता था, जब दोनों देशों के मध्य बढि़या समझदारी पैदा की जा सकती थी। लेकिन दोनों देशों की नौकरशाही इसका लाभ नहीं उठा पाई और बढि़या रिश्ते कायम नहीं हो पाए। अंतरराष्ट्रीय संगठनों समेत कई लोगों के 21 माह के प्रयास के बाद जाधव को अपने परिजनों से मिलने की इजाजत दी गई। लेकिन पाकिस्तानी नौकरशाही ने इसे नकारात्मक ढंग से देखा और लिया। किसी के दिमाग में यह खुराफाती विचार आ गया कि बैठक के दौरान जाधव व उनके परिजनों के बीच शीशे की दीवार खड़ी कर दी गई। भारतीय विवाहित महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले मंगलसूत्र, बिंदी और चूडि़यों तक को जाधव की पत्नी के अंगों से उतरवा दिया गया। इसके कारण कौन सा लक्ष्य हासिल हुआ, यह किसी की भी समझ से परे है। वास्तव में मंगलसूत्र व चूडि़यां तो किसी भी हालत में हथियार नहीं हो सकते। ये चीजें विवाहित महिलाओं की प्रतीक मात्र हैं।

पाकिस्तान के नौकरशाह इस बात को भलीभांति जानते हैं, क्योंकि पहले वे भी इसी सिस्टम का भाग रहे हैं। उनका यह व्यवहार भारत के प्रति उनकी शत्रुतापूर्ण सोच को ही दर्शाता है। किसी ने भी उन्हें इस तरह का व्यवहार करने के लिए नहीं कहा था। विभाजन के समय से ही उन्होंने इस तरह की आदत विकसित कर ली है। संभवतः वे इस बात से चिढ़ गए होंगे कि हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने जाधव की फांसी पर रोक लगा दी है। पाकिस्तान के अनुसार जाधव को गत वर्ष मार्च माह में बलूचिस्तान से जासूसी व आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के कारण गिरफ्तार किया गया था। इसके शीघ्र बाद एक सैन्य अदालत ने इन आरोपों की पुष्टि करते हुए जाधव को मृत्युदंड की सजा सुना दी थी।

भारत ने पाकिस्तान के आरोपों को नकारते हुए दलील दी है कि जाधव को ईरान की चाबहार बंदरगाह से पकड़ा गया और उन पर जो ट्रायल चला, वह भी फर्जी व मनगढ़ंत है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत ने जाधव पर चले केस को न्याय का गला घोंटने वाला बताया, क्योंकि न तो भारत के राजनयिकों को जाधव के लिए काउंसलर की सुविधा उपलब्ध करवाने की इजाजत दी गई और न ही जाधव को अपना डिफेंस वकील चुनने की इजाजत दी गई। नई दिल्ली ने यह दलील भी दी कि जाधव पर लगाई गई पाबंदियां द्विपक्षीय संबंधों पर 1963 के विएना समझौते का सीधा उल्लंघन हैं। दूसरी ओर पाकिस्तान ने इस बात की पैरवी की कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मसला है। उसका कहना है कि जाधव को दी गई सजा पर रोक लगाने का अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को कोई हक नहीं है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान की दलील यह कह कर ठुकरा दी कि विएना समझौता उस पर भी लागू होता है और इसके अनुरूप उसने कैद किए गए व्यक्ति को बचाव के लिए काउंसलर की सुविधा नहीं दी। इस तरह यह समझौते का उल्लंघन है और जाधव की नजरबंदी गैर-कानूनी है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के अध्यक्ष रोन्नी अब्राहम ने आदेश देते हुए कहा कि जब तक इस मामले की पूरी सुनवाई नहीं हो जाती, पाकिस्तान जाधव को फांसी नहीं दे सकेगा और वह इस आदेश की अनुपालना के लिए उठाए गए हर कदम की जानकारी न्यायालय को देगा। 12 न्यायाधीशों पर आधारित न्यायाधिकरण ने अपने अस्थायी मापक आदेश में सर्वसम्मति से कहा कि उसका अंतिम फैसला आने तक इस मामले में आगे की कार्रवाई नहीं हो सकेगी।

यह आदेश जाधव पर दोनों देशों के पक्ष पेश करने के बाद आया। इससे दोनों देशों के पारस्परिक संबंधों पर दबाव पड़ा है। पाकिस्तान में लोकतंत्र का दिखावा किया जा रहा है और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, जिन्होंने सेना की कृपा से प्रशासन पर नियंत्रण बनाए रखा, भारत की ओर प्रवृत्त हैं। पुराने दिनों को याद करते हुए वह भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से निकटता का हवाला देते हैं। कहा जाता है कि दोनों प्रधानमंत्री कश्मीर मसले पर समाधान के करीब पहुंच गए थे, हालांकि इस फार्मूले को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया। वास्तव में हर बात दोनों देशों के बीच संबंधों पर निर्भर करती है। कश्मीर को लेकर उलझन के बावजूद दोस्ती के वातावरण में दोनों देश आगे बढ़ सकते थे। दोनों के संबंध मधुर होते, तो जाधव व उनके परिजनों के बीच वार्ता का अभिवादन होता। इस स्थिति में पाकिस्तान ने इस तरह के कथित एहतियातन कदम न उठाए होते तथा जाधव के परिवार की सांस्कृतिक व धार्मिक संवेदनाओं का आदर हुआ होता। यहां तक कि जाधव की माता को अपने बेटे से मराठी में बात करने की इजाजत नहीं दी गई, हालांकि इस स्थिति में यह संचार का स्वाभाविक माध्यम होता। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री एसके अब्बासी भारत से रिश्तों को सुधारने की बात करते हैं, इसके बावजूद ऐसा होना आश्चर्य पैदा करता है। शायद पाकिस्तान की घरेलू राजनीति के कारण ऐसा हुआ होगा। वास्तव में नवाज शरीफ पर न्यायालय का फैसला आने के बाद पाकिस्तान में राजनेताओं की आवाज मंद हुई है।

दूसरी ओर भारत की बात अलग है। यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशासन पर अच्छी पकड़ है। मोदी सरकार को इस मसले को गंभीरता से लेना चाहिए और जाधव का भाग्य विभिन्न राज्यों के बीच गतिरोध की कटुता पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। दुर्भाग्य से नरेंद्र मोदी पिछले दरवाजे से हिंदुत्व को प्रतिस्थापित करने में जुटे हैं और जाधव जैसे मामलों को सुलझाने के लिए उनके पास समय नहीं है। मोदी सरकार को ठोस पग उठाते हुए हरसंभव संसाधन की मध्यस्थता से जाधव की रिहाई सुनिश्चित करवानी चाहिए। भारत ने संबंधों को सामान्य बनाने के लिए एक अन्य शर्त लगा दी है। पाकिस्तान को यह आश्वासन देना होगा कि वह आतंकवादियों के लिए शरणस्थली नहीं बनेगा। यह सुनिश्चित करना आसान नहीं होगा। बलूचिस्तान अलग होने की राह पर है। यह वही राज्य है जहां से जाधव को पकड़ा गया बताया जा रहा है। नई दिल्ली ने बार-बार विचार प्रकट किया है कि वह पाकिस्तान की अखंडता में भारत की अखंडता की तरह विश्वास रखता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी करार दिया गया हाफिज मोहम्मद सईद जब पाकिस्तान में राजनीतिक दल के गठन की कोशिश करता है तो पाकिस्तान उसे रोक नहीं पाता है जो उसकी ढीली पकड़ व लाचारी को दर्शाता है। मुंबई हमले के मास्टर माइंड पर कार्रवाई वह आधार है, जिस पर दोनों देशों के संबंध सुधरने की आस है, लेकिन लगता है कि पाकिस्तान उस पर कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है। बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो ने अभी-अभी अपनी पार्टी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी पर नियंत्रण की कोशिश शुरू की है, लेकिन उनके पास विश्वसनीयता के नाम पर इसके अलावा कुछ नहीं है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री के पुत्र हैं। आसिफ अली जरदारी भी कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं और वह अपनी ही पार्टी में कमजोर पड़ते जा रहे हैं। ऐसी स्थितियों में जाधव के भाग्य को लेकर कोई भविष्यवाणी करना कठिन है।

ई-मेल : kuldipnayar09@gmail.com


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