मोदी सरकार से ग्रीन बोनस की आस

By: Jan 13th, 2018 12:15 am

हरित पट्टी के संरक्षण के बदले हिमाचल हकदार, खरबों की वन संपदा मिट्टी के मोल

शिमला— विषम आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हिमाचल जैसे विकासशील राज्य को यदि केंद्र की मोदी सरकार हरित पट्टी के संरक्षण की एवज में ग्रीन बोनस देने का ऐलान कर दे ता हिमाचल की स्थिति को संबल मिल सकता है। प्रदेश में खरबों रुपए की वन संपदा जंगलों में खड़ी है। लगभग 45 फीसदी से भी ज्यादा वन संपदा परिपक्व हो चुकी है। विशेषज्ञों की राय में यदि इसका कटान नहीं हुआ तो यह मिट्टी में मिल सकती है, वहीं सिल्वी कल्चर प्रक्रिया के तहत नई पौध को प्राकृतिक तौर पर तैयार करने में भी दिक्कतें आ सकती हैं। यही वजह है कि प्रदेश के कई हिस्सों में प्राकृतिक तौर पर देवदार की जो री-जेनरेशन होती थी, वह थम चुकी है। क्योंकि सघन वन संपदायुक्त जंगलों में सूर्य का प्रकाश ही नहीं पहुंच पाता। बहरहाल, हिमाचल में वर्ष 1996-97 से हरित कटान पर पूर्ण प्रतिबंध है। अरबों-खरबों की वन संपदा परिपक्व हो चुकी है, मगर हिमाचल साल्वेज यानी गले-सड़े पेड़ों को छोड़ कर कटान नहीं हो सकता, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है। हिमाचल हर साल 14 से 15 हजार क्यूबिक मीटर साल्वेज टिंबर व बालन के तौर पर निकाल रहा है, जो समस्या का समाधान नहीं। पिछले कई वर्षों से इसकी एवज में हिमाचल भरपाई की मांग केंद्र सरकारों से करता आ रहा है। यूपीए के दौरान ग्रीन बोनस का ऐलान हुआ, मगर पूरा नहीं हो सका। मौजूदा केंद्र सरकार के कार्यकाल के दौरान इस बारे में कोई ऐलान नहीं हो सका। शिमला में करीब 10 वर्ष पहले हिमालयी राज्यों का एक सम्मेलन हुआ था। इसमें विदेशों से भी विशेषज्ञ आए थे। तत्कालीन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने ऐलान किया था कि एक फार्मूले के तहत हिमाचल सहित अन्य हिमालयी राज्यों को ग्रीन बोनस प्रदान किया जाएगा। यह 100 से 150 करोड़ का हो सकता है। इसके लिए औपचारिकताएं भी पूरी हो चुकी हैं, मगर हैरानी की बात है कि यूपीए-1 व यूपीए-2 में इस बारे में कोई कार्रवाई नहीं हो सकी, जबकि हिमाचल इसका पूर्ण हकदार है।

देश को स्वच्छ हवा की सप्लाई

देश को प्राकृतिक तौर पर आक्सीजन सप्लाई करने वाले राज्यों में हिमाचल का प्रमुख स्थान रहता है। यह संपदा पर्यावरण व वन संरक्षण की दृष्टि से भी नायाब है। इसी के चलते विश्व बैंक ने भी हिमाचल को जहां कार्बन क्रेडिट योजना मंजूर की। वहीं अन्य बड़े प्रोजेक्ट भी, मगर इनसे आर्थिक दिक्कतें दूर नहीं हो सकती थीं। अब उम्मीद की जा रही है कि केंद्र व हिमाचल में समान सरकारों के रहते यह ऐलान प्रधानमंत्री करेंगे, जिससे पहाड़ी राज्य की दिक्कतों का समाधान हो सके।


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