राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता

By: Jan 17th, 2018 12:05 am

जोगिंद्र ठाकुर, भल्याणी, कुल्लू

आवश्यकता से अधिक उदारता और राजनीतिक स्वार्थों के चलते भारत की सुरक्षा को खतरे में डाला जाता रहा है। देश के दलालों और भ्रष्ट व्यवस्था ने भारत को एक धर्मशाला बना दिया है, जहां कोई भी बेरोकटोक अवैध रूप से रह लेता है। रोहिंग्या मुस्लमानों के संबंध में देश की सर्वोच्च अदालत पहले से ही अपने फैसले से सरकार को अवगत करवा चुकी है। खुफिया सूत्रों की मानें, तो ये लोग देश की सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं। पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठन और आईएसआई समय-समय पर भारत के खिलाफ ऐसे हथकंडे इस्तेमाल करते रहे हैं। इतना सब कुछ सामने होने पर भी रोहिंग्या मुसलमानों को पश्चिम बंगाल में घुसपैठ करवाकर उन्हें अवैध रूप से बसाने का कार्य हो रहा है। यह सब शासन-प्रशासन की आंखों के सामने सुनियोजित तरीके से हो रहा है। अनेक गद्दार घुसपैठ करवाने और बसाने के धंधे में शामिल होकर देश से गद्दारी कर रहे हैं। ऐसे भी समाचार हैं कि उनमें कई लोगों के आधार व पैन कार्ड तक बनाए जा चुके हैं। अवैध रूप से रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों से शरणार्थी सा व्यवहार कहां तक उचित है? किसी धर्म व मत के आधार पर उन्हें संरक्षण नहीं दिया सकता। आखिर ऐसा कब तक चलता रहेगा कि कोई भी अवैध रूप से घुसकर हमारे लिए समस्या पैदा करता रहे। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए केंद्र को ठोस कदम उठाकर घुसपैठ पर रोक लगाने के प्रयास करने चाहिएं। रोहिंग्या लोगों पर देश की सर्वोच्च अदालत की भावना को समझते हुए सख्ती से पेश आकर  इस कुकृत्य में सम्मिलित आस्तीन के सांपों को देश के सामने बेनकाब करना ही चाहिए।

 


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