‘ लाभ का पद ’

By: Jan 24th, 2018 12:07 am

संविधान के अनुच्छेद 102 (1) के तहत सांसद या विधायक ऐसे किसी अन्य पद पर नहीं हो सकते जहां वेतन, भत्ते या अन्य दूसरी तरह के फायदे मिलते हों। इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 191 (1) और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 के तहत भी सांसदों और विधायकों को अन्य पद लेने से रोकने का प्रावधान है। चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका देते हुए पार्टी के 20 विधायकों को लाभ के पद के मामले में अयोग्य घोषित करार दिया है, जिस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी अंतिम मुहर लगा दी है। केंद्र सरकार ने इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी। चुनाव आयोग ने वेतन, गाड़ी, बंगला या घर नहीं लेने के बावजूद चुनाव आयोग ने इन विधायकों को लाभ के पद का उपयोग करने का दोषी माना। बता दें कि ‘लाभ के पद’ मामले में किसी जनप्रतिनिधि पर हुई कार्रवाई का यह कोई पहला मामला नहीं है। साल 2006 में यूपीए-एक के शासनकाल में सोनिया गांधी के खिलाफ भी ‘लाभ के पद’ का मामला सामने आया था। दरअसल सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद थीं। इसके साथ ही वह यूपीए सरकार के समय गठित राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की चेयरमैन भी थीं, जिसे ‘लाभ के पद’ करार दिया गया था। इसकी वजह से सोनिया गांधी को लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा। जिसके बाद उन्होंने रायबरेली से दोबारा चुनाव लड़ था। इसी तरह साल 2006 में ही जया बच्चन पर भी ‘लाभ के पद’ का मामला बन गया था। जया राज्यसभा सांसद थीं। इसके साथ ही वह उत्तर प्रदेश फिल्म विकास निगम की चेयरमैन भी थीं, जिसे ‘लाभ के पद’ करार दिया गया और चुनाव आयोग ने जया बच्चन को अयोग्य ठहराया था। जया बच्चन ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गईं, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। इसकी वजह से जया बच्चन की संसद सदस्यता रद्द हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि अगर किसी सांसद या विधायक ने ‘लाभ के पद’ लिया है, तो उसकी सदस्यता निरस्त हो जाएगी चाहे उसने वेतन या दूसरे भत्ते लिए हों या नहीं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App