वक्फ बोर्ड गठन में सियासी पेंच

By: Jan 24th, 2018 12:01 am

कई जिलों के नेता चाहते हैं ओहदेदारी, मौलाना भी आए आगे

 शिमला— राज्य वक्फ बोर्ड में ओहदेदारी के लिए कई जिलों के नेता मैदान में कूद चुके हैं। भाजपा के दिग्गज नेताओं के हवाले से इनकी लॉबिंग चल रही है। कई लोग खुद को बोर्ड के पदाधिकारी घोषित भी कर चुके हैं, जबकि अभी तक सरकार ने इस पर फैसला नहीं लिया है। मुस्लिम समुदाय की यह सियासत सचिवालय में खूब चर्चा में है क्योंकि यहां रोजाना कोई न कोई नेता अपनी दावेदारी के लिए पहुंच जाता है। बोर्ड के मौलाना भी इस सियासत में पीछे नहीं है। वक्फ बोर्ड में ओहदेदारी की दावेदारी शिमला, मंडी, नाहन, पांवटा, सोलन, नालागढ़ के साथ कुछ दूसरे क्षेत्रों से भी हो रही है। यहां के भाजपा विधायक अपने-अपने समर्थकों के लिए आगे बात कर रहे हैं, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है। कई ऐसे लोग भी दौड़ में शामिल हैं, जिन्होंने कभी संगठन का काम नहीं किया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस फाइल को अपने पास रखा है, क्योंकि कभी इसमें नाम शामिल हो रहे हैं तो कभी नाम हटाए जा रहे हैं। ऐसे में फैसला फिलहाल नहीं हो पा रहा है। शिमला में वक्फ बोर्ड की सबसे अधिक जमीन हैं और बोर्ड का अधिकांश राजस्व आता मिलता भी शिमला से है। यहां वक्फ बोर्ड के पास न केवल बड़ी संख्या में दुकानें हैं, बल्कि काफी ज्यादा प्रापर्टी भी है। ऐसे में शिमला की दावेदारी भी पुख्ता है, वहीं कुछ दूसरे क्षेत्रों के लोग भी दौड़ में चल रहे हैं। सिरमौर जिला में नाहन व पांवटा में मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा है, जहां पर मुस्लिम वोट बैंक को भी ध्यान में रखा जाना है। सोलन जिला में भी वक्फ प्रापर्टी व मुस्लिमों की संख्या अधिक है। अल्पसंख्यक मोर्चा की भी अपनी कोशिशें चल रही हैं, जो कि मंडी जिला को महत्व दे रहे हैं, क्योंकि सीएम मंडी जिला से हैं। यहां वक्फ बोर्ड मौलानाओं की सियासत भी अलग है, जबकि वे लोग बोर्ड के कर्मचारी हैं और उनको इस सियासत से दूर रहना चाहिए, परंतु पूर्व में भी जो बोर्ड गठित रहे उनमें मौलानाओं की भागीदारी भी रही है। ऐसे में इस दफा भी ये लोग कोशिशों में जुटे हैं। इसके लिए भी कई जगहों से नाम सरकार के पास आ चुके हैं। कुल मिलाकर मुस्लिम वोट को लेकर चल रही सियासत बोर्ड के गठन में देरी कर गई है।


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