हफ्ते का खास दिन

By: Jan 21st, 2018 12:05 am

नेता जी सुभाष चंद्र

जन्मदिन  : 23 जनवरी, 1897

सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा(अब ओडिशा) में कटक के एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। बोस के पिता का नाम ‘जानकीनाथ बोस’ और मां का नाम ‘प्रभावती’ था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे।  नेताजी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई। तत्पश्चात उनकी शिक्षा कलकत्ता के प्रेजिडेंसी कालेज और स्कॉटिश चर्च कालेज से हुई और बाद में भारतीय प्रशासनिक सेवा (इंडियन सिविल सर्विस) की तैयारी के लिए उनके माता-पिता ने बोस को इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय भेज दिया। अग्रेंजी शासन काल में भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत कठिन था, किंतु उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया। 1921 में भारत में बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों का समाचार पाकर  बोस ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली और शीघ्र भारत लौट आए। सिविल सर्विस छोड़ने के बाद वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए।  सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी के अहिंसा के विचारों से सहमत नहीं थे। वास्तव में महात्मा गांधी उदार दल का नेतृत्व करते थे, वहीं सुभाष चंद्र बोस जोशीले क्रांतिकारी दल के प्रिय थे। महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के विचार भिन्न-भिन्न थे, लेकिन वह यह अच्छी तरह जानते थे कि महात्मा गांधी और उनका मकसद एक है, यानी देश की आजादी। सबसे पहले गांधीजी को राष्ट्रपिता कह कर नेताजी ने ही संबोधित किया था। 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय योजना आयोग का गठन किया। यह नीति गांधीवादी आर्थिक विचारों के अनुकूल नहीं थी।  1939 में बोस पुनः एक गांधीवादी प्रतिद्वंद्वी को हराकर विजयी हुए।  गांधी ने इसे अपनी हार के रूप में लिया।  बोस का मानना था कि अंग्रेजों के दुश्मनों से मिलकर आजादी हासिल की जा सकती है। उनके विचारों को देखते हुए उन्हें ब्रिटिश सरकार ने कोलकाता में नजरबंद कर लिया, लेकिन वह अपने भतीजे शिशिर कुमार बोस की सहायता से वहां से भाग निकले। सुभाष चंद्र बोस ने 1937 में अपनी सेक्रेटरी और ऑस्ट्रियन युवती एमिली से शादी की। उन दोनों की एक अनीता नाम की एक बेटी भी हुई। नेताजी हिटलर से मिले। उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत और देश की आजादी के लिए कई काम किए। उन्होंने 1943 में जर्मनी छोड़ दिया। वहां से वह जापान पहुंचे। जापान से वह सिंगापुर पहुंचे। ‘नेताजी’ के नाम से प्रसिद्ध सुभाष चंद्र ने सशक्त क्रांति द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 21 अक्तूबर, 1943 को ‘आजाद हिंद सरकार’ की स्थापना की तथा ‘आजाद हिंद फौज’ का गठन किया इस संगठन के प्रतीक चिह्न पर एक झंडे पर दहाड़ते हुए बाघ का चित्र बना होता था। नेताजी अपनी आजाद हिंद फौज के साथ 4 जुलाई, 1944 को बर्मा पहुंचे। यहीं पर उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा, ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ दिया। 18 अगस्त 1945 को तोक्यो जाते समय ताइवान के पास नेताजी की मौत हवाई दुर्घटना में हो गई, लेकिन उनका शव नहीं मिल पाया। नेताजी की मौत के कारणों पर आज भी विवाद बना हुआ है।


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