अंगूर के पौष्टिक गुण

By: Feb 17th, 2018 12:05 am

अंगूर सारे भारत में आसानी से उपलब्ध फल है। इसमें विटामिन सी तथा ग्लूकोज पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह शरीर में खून की वृद्धि करता है और कमजोरी दूर करता है। यही कारण है कि डाक्टर लोग मरीजों को फलों में अंगूर भी खाने की सलाह देते हैं। अंगूर एक ऐसा फल है जिसे आप साबुत खा सकते हैं। इनसे न तो छिलका उतारने का झंझट और न ही बीज का निकालने का। वैसे स्वास्थ्य के लिहाज से इसके कई फायदे हैं। आमतौर पर अंगूर दो तरह के होते हैं, हल्के हरे रंग के और काले रंग के, लेकिन आकार के आधार पर भी आप इन्हें विभाजित कर सकते हैं। अंगूर को एक विशेष प्रक्रिया के तहत सुखाकर किशमिश का रूप भी दिया जाता है। अंगूर में पर्याप्त मात्रा में कैलोरी, फाइबर और विटामिन सी, ई पाया जाता है। अंगूर के लाजवाब स्वाद से तो हम सभी परिचित हैं, लेकिन कम ही लोगों को पता होता है कि ये सेहत का खजाना भी है। अंगूर में सोडियम क्लोराइड, पोटाशियम क्लोराइड, पोटाशियम सल्फेट, मैगनीशियम तथा एल्युमिन जैसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व भी भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। अंगूर में पाई जाने वाली शर्करा पूरी तरह से ग्लूकोज से बनी होती है, जो कुछ किस्मों में 11 से 12 प्रतिशत तक होती है और कुछ में 50 प्रतिशत। यह शर्करा शरीर में पहुंचकर एनर्जी प्रदान करती है। इसलिए इसे हम एक आदर्श टॉनिक की तरह प्रयोग में लाते हैं। अंगूर का सेवन थकान को दूर कर शरीर को चुस्त- फुर्त व मजबूत बनाता है।

सभी बीमारियों में फायदेमंद

अंगूर में क्षारीय तत्त्व बढ़ाने की अच्छी क्षमता के कारण ही शरीर में यूरिक एसिड की अधिकता, मोटापा, जोड़ों का दर्द, रक्त का थक्का जमना, दमा, नाड़ी की समस्या व त्वचा पर लाल चकत्ते उभरने आदि स्थितियों में इसका सेवन लाभकारी होता है। अंगूर का सेवन, आंत, लिवर व पाचन संबंधी अन्य रोगों, मुंह में कड़वापन रहना, खून की उल्टी होना, गुर्दे की कार्यक्षमता में कमी, कब्ज, मूत्र की बीमारी, अतिसार कृमि रोग, टीबी (क्षय रोग) अम्ल पित्त, गुल्म रोग (गांठ) और ग्रहणी आदि रोगों में विशेष लाभकारी होता है। यदि किसी ने धतूरा खा लिया हो, तो उसे अंगूर का सिरका दूध में मिलाकर पिलाने से काफी लाभ होता है। अंगूर मियादी बुखार, मानसिक परेशानी, पाचन की गड़बड़ी आदि भी काफी लाभकारी है। अंगूर में एक विशेष गुण यह भी है कि यह शरीर में मौजूद विषैले तत्त्वों को आसानी से शरीर से बाहर निकाल देता है। यह एक अच्छा रक्त शोधक व रक्त विकारों को दूर करने वाला फल है। अंगूर के रस को कलई के बरतन में पकाकर गाढ़ा करके सोते समय आंखों में लगाने से जाला, फूला आदि नेत्र रोगों दूर हो जाते हैं। जिन माताओं को पर्याप्त दूध न उतरता हो, उनके लिए भी इसका सेवन लाभकारी होता है। अंगूर की बेल काटने से जो रस निकलता है, वह त्वचा रोगों में लाभकारी होता है।


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