इस गरीब को बीपीएल में जगह नहीं
गगरेट में घर गिरने के कगार पर, मजदूरी कर परिवार पालना भी हो रहा मुश्किल
गगरेट – विकास खंड गगरेट की ग्राम पंचायत अप्पर गगरेट के रामपाल गिरने की कगार पर खड़े एक कच्चे मकान के मालिक हैं। इनके नाम राजस्व रिकार्ड के अनुसार डेढ़ कनाल भूमि है। मजदूरी कर परिवार का पेट पालते हैं। अगर मजदूरी न मिले तो कभी-कभार फाकानशी की नौबत भी आ जाती है, लेकिन ग्राम पंचायत के रिकार्ड के अनुसार यह परिवार गांव के अमीर परिवारों में शुमार है। इसके विपरीत गांव के कई लोग ऐसे भी हैं जो आलीशान कोठियों के मालिक हैं, दोपहिया वाहन हैं, घर में हर सुख सुविधा का सामान उपलब्ध हैं, लेकिन ग्राम पंचायत के रिकार्ड के मुताबिक ये लोग गांव के निहायत गरीब लोग हैं। क्यों चौंक गए … लेकिन ग्राम पंचायत की बीपीएल सूची तो चीख-चीख कर यही कह रही है राम पाल गांव के अमीर व्यक्तियों में से एक है। शायद इसीलिए उसका नाम आज तक बीपीएल सूची में शुमार नहीं हो पाया। अब जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने अपना सौ दिन का लक्ष्य निर्धारित करते हुए पात्र लोगों को बीपीएल सूची में स्थान दिलाने का लक्ष्य रखा है तो राम पाल की आंखें फिर से चमक उठी हैं। शायद यह सरकार वास्तव में गरीब लोगों को उनका हक दिलाने के लिए काम करे। यह सोच कर राम पाल ने भी उसके परिवार को बीपीएल सूची में शामिल करने के लिए खंड विकास अधिकारी गगरेट के पास अर्जी लगा दी है। यह मामला सिर्फ एक रामपाल का ही नहीं है बल्कि विकास खंड गगरेट में अगर बीपीएल परिवारों के घरों के बाहर सूचना पट लगाने के निर्देश जारी न होते तो आम जनता को पता ही नहीं चल पाता कि उनके हक पर असल डाका कौन लोग मार रहे हैं। अगर नियमों को देखें को नब्बे प्रतिशत ऐसे अपात्र लोग बीपीएल सूची में शामिल ही नहीं हो सकते जो इस समय बीपीएल सूचियों की शान बने हुए हैं। नियमों के अनुसार बीपीएल सूची के लिए वही व्यक्ति पात्र है जिसके पास एक एकड़ से अधिक भूमि नहीं है। उसकी मासिक आय अढ़ाई हजार रुपए से अधिक नहीं है। उसके पास पक्का मकान नहीं है और दोपहिया वाहन या कार इत्यादि नहीं है। अगर आप विकास खंड गगरेट के गांवों का दौरा करेंगे तो ऐसे आलीशान घरों के आगे बीपीएल सूचना पट लगा देख हैरान हो जाएंगे कि इनके चयन के लिए क्या पैमाना अपनाया गया है? अब बीपीएल सूचियों में पात्र लोगों को जोड़ने व अपात्र लोगों को हटाने के लिए उपायुक्त द्वारा तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया जाएगा, जिसमें पंचायत सचिव, तकनीकी सहायक व हलका पटवारी शामिल होंगे। ये कमेटी खंड विकास अधिकारी के पास पहुंची शिकायतों व आवेदनों का अध्ययन करेगी।
अपात्र लोगों के खिलाफ कम शिकायतें आईं
अपात्र लोगों को बीपीएल सूची से हटाने व पात्र लोगों को बीपीएल सूची से जोड़ने के लिए विभाग द्वारा तय की गई अंतिम तिथि तक महज 34 शिकायतें ही खंड विकास कार्यालय में अपात्र लोगों का नाम बीपीएल सूची से हटाने के लिए पहुंची हैं। इसके स्थान पर 497 परिवारों ने उनका परिवार बीपीएल सूची में डालने के लिए आवेदन किया है। जाहिर है कि पंचायती राज विभाग ने जिस उद्देश्य के साथ यह अभियान शुरू किया वह अपना लक्ष्य पूरा न कर पाए। अहम वजह यह भी है कि गरीब परिवार साधन संपन्न लोगों से सीधे सिर भिड़ाने से भी डरते हैं। यही वजह है कि बीपीएल सूची में शामिल अपात्र लोगों के खिलाफ कम ही शिकायतें आई हैं। जनहित युवा क्लब गगरेट के प्रधान पवन हीर ने उपायुक्त से मांग की है कि कमेटी को अपने विवेक के अनुरूप अपात्र लोगों को बीपीएल सूची से हटाने की भी शक्तियां दी जाएं।
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