कविता

By: Feb 4th, 2018 12:05 am

 पढ़ना है जी पढ़ना है

भारी बस्ता उठा के रस्ता,

कैसे भी तय करना है।

पढ़ना है जी पढ़ना है

पढ़-लिख आगे बढ़ना है।

मां-बापू को मिलें सभी सुख,

भूखे अब नहीं मरना है।

लड़ना अपने हक की खातिर,

नहीं किसी से डरना है।

नया ज्ञान पा कर के हमको,

हर दुश्मन से लड़ना है।

पढ़ना है जी पढ़ना है,

पढ-लिख आगे बढ़ना है।

 


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