क्राइम नॉवेल पढ़ने से दूर होता है डिप्रेशन

By: Feb 28th, 2018 12:04 am

पढ़ने का शौक रखते हैं तो कई समस्याएं आपको छू भी नहीं पाती हैं। एक तो अकेलापन नहीं सताता और समय भी अच्छा गुजरता है। एक शोध में कहा गया है कि किताबें जिनकी साथी होती हैं उन्हें अवसाद का खतरा भी कम होता है। हालांकि यह कोई भी किताब से नहीं, सनसनीखेज नॉवेल पर आधारित है। प्रयोग के दौरान बिबलियो थैरेपी का इस्तेमाल करने वाले मरीजों के स्वभाव में अंतर दिखाई पड़ा। इनमें से ज्यादातर तीन साल से अधिक समय से अवसाद से जूझ रहे थे। इस प्रयोग के नतीजे क्लीनिकल साइकोलॉजी रिव्यू पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। इटली की यूनिवर्सिटी ऑफ ट्यूरिन के शोध में विशेषज्ञों ने दावा किया है कि सनसनीखेज या क्राइम नॉवेल के शौकीन लोगों में अवसाद का खतरा कम रहता है। उनका कहना है यह अवसाद का इलाज तो नहीं है, लेकिन क्राइम नॉवेल पढ़ने वाले लोगों की एंटीडिप्रेसेंट दवाओं पर निर्भरता बहुत कम हो जाती है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि किताब पढ़ने से दिमाग पर दबाव कम होता है।

हर मरीज के लिए दवा जरूरी नहीं

इंग्लैंड में हुए एक शोध में छह करोड़ से अधिक लोगों को एंटीडिप्रेसेंट दवाएं दी गईं। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जरूरी नहीं हर तरह के अवसाद, चिड़चिड़ापन, और घबराहट के मरीजों को दवा की जरूरत हो। इनमें से कुछ को अन्य थैरेपी से भी राहत मिल सकती है। यह शोध इसी अवधारणा की कड़ी है। किताब पढ़ने की थैरेपी को बिबलियोथैरेपी कहते हैं, इसी तरह बात करने की थैरेपी को टॉकिंग थैरेपी कहते हैं।


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