खुले में रखा है मरीजों का सारा रिकार्ड

By: Feb 24th, 2018 12:10 am

आईजीएमसी का मेडिकल स्टोर कबाड़खाने से कम नहीं, ढूंढते नहीं मिलती सालों पुरानी फाइलें

शिमला —प्रदेश के  सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी का मेडिकल स्टोर किसी भी तरह से अस्पताल का रिकॉर्ड रूम नहीं लगता। अस्पताल के दूसरी मंजिल में स्थित मेडिकल रिकॉर्ड रूम में फाइलें इस तरह से पड़ी है जैसे अस्पताल को इनकी अब जरूरत ही नहीं होगी। वहीं डिजिटल के इस दौर में भी अस्पताल प्रशासन सालों से इस रिकोर्ड रूम को कम्पयूटरराइज नहीं कर पाया है। हैरानी की बात है कि अस्पताल का इतना जरूरी विभाग ओर इसकी देखरेख की ओर अस्पताल प्रशासन कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है। अस्पताल के इस स्टोर रूम में अस्पताल में आने वाले मरीजों का दस साल पुराना सारा रिकॉर्ड रखा जाता है। अस्पताल के लिए ये जरूरी भी है, लेकिन आईजीएमसी के मेडिकल स्टोर रूम की जिस तरह की स्थिति आज बनी हुई हे उससे तो साफ झलकता है कि अस्पताल प्रशासन का कार्य सिर्फ इतना रह चुका है कि बस जो मरीज अस्पताल आ रहे है उनका इलाज करे व उसके बाद उनका स्वास्थ्य संबधित रिकार्ड चाहे स्टोर रूम में चूहे ही क्यों न कुतरें, उन्हें इससे कोई मतलब नहीं। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही इसी से नजर आती है कि उसे रिकार्ड के डैमेज होने का भी डर नहीं है।

दो कर्मियों के भरोसे रिकॉर्ड रूम

पहले ही अस्पताल का रिकॉर्ड रूम कम्प्यूटर राइज नहीं है उपर से दो कर्मचारी ही इस स्टोर को संभाल रहे है। यहां इस विभाग में पांच पद खाली पड़े है। जानकारी के अनुसार एक दिन में इन कर्मचारियों को 100 से 150 पुरानी फाइलें ढूंढनी पड़ती है।

स्टोर में नहीं दस साल पुरानी फाइलें

सूत्रों की माने तो अस्पताल प्रशासन की ओर से रिकोर्ड रूम फूल हो जाने पर आधी फाइलें स्टोर रूम में रख दी गई है। जबकि प्रशासन को मरीजों को दस साल का रिकॉर्ड एक ही जगह पर रखना आवश्यक होता है।

प्रशिक्षु चिकित्सकों के रिसर्च के काम भी आता है रिकॉर्ड

अस्पताल में रखा जाने वाला रिकॉर्ड न केवल मरीजों के लिए जरूरी होता है बल्कि कालेज के प्रशिक्षु डाक्टरों के रिसर्च में भी इसका इस्तेमाल होता है। कुल मिलाकर मरीजों का दस साल का रिकॉर्ड सैफ रखना अस्पताल के प्रशासन को जरूरी है, लेकिन अस्पताल की ओर से इसे गंभीर रूप से नहीं लिया जा रहा है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App